काशी

काशी

-

दमोदर पंडित ने गद्य में उक्ति व्यक्ति. रचना की प्राकृत पैगलम् इन्हीं के द्वारा रचित एक काव्य. जो काशी के की के.

-

1456 जिसका पालन नीरू-नीमा प्रतिपादन किया तथा बाह्य आडम्बरों का. हजारी प्रसाद ने इन्हें का डिक्टेटर तो भाषा 'पंचमेल खिचड़ी'. (,,) 1576

-

-

'' रैदास ने एक परम्परा चलाई जिसे साधु.

,

- संवत् 1554 12,, ,,,, रामाज्ञा ,, जानकी ,, गोस्वामी,. काशी में इनके बड़े स्नेही भक्त भदैनी के एक भूमिहार जमींदार. जिनकी मृत्यु पर इन्होंने कई दोहे. 1680

-

काशी के दरबारी कवि महाराज चेत सिंह और उदित. - ,,, -शिख,

जौनपुरी

Jonpuri
Thaat: Asavari
Jati: Chhadav-Sampooran (6/7)
Vadi: D
Samvadi: G
Vikrit: G,D & N komal
Virjit: G in aroh
Aroh: S R m P d n S*
Avroh: S* n d P m g R S
Time: Day Second Pehar


Jaunpuri is an Shadhav – Sampurna (consists of 6 notes in Aaroh and 7 notes in Aavroh)  raga from the Hindustani music tradition. It is one of the ragas of choice for songs which show Bhakti or Grandeur.

WHEN IS RAAG JAUNPURI SUNG?

Raag Jaunpuri is usually sung in the morning from 9 am – 12 pm.

Gandhari

Gandhari
Thaat: Asavari
Jati: Chhadav-Sampooran (6/7)
Vadi: D
Samvadi: G
Vikrit: G & D Komal, N & R both
Virjit: G in aroh
Aroh: S R m P d n S*
Avroh: S* N d P m g r S
Time: Day Second Pehar

Ananda Bhairavi

Anandabhairavi or Ananda Bhairavi (pronounced ānandabhairavi) is a very old melodious rāgam (musical scale) of Carnatic music (South Indian classical music). This rāgam also used in Indian traditional and regional musics. Ānandam (Sanskrit) means happiness and the rāgam brings a happy mood to the listener.

It is a janya rāgam (derived scale) of the 20th Melakarta rāgam Natabhairavi, although some suggest that it is janya of 22nd melakarta Kharaharapriya.

Asavari

Asavari
Thaat: Asavari
Jati: Audav-Sampooran (5/7)
Virjit Notes: ‘G’ & ‘N’ in Aroh
Vadi: Dha
Samvadi: Ga
Vikrat Notes: G, D, N komal
Time: Day, Second Pehar
Aroh: S R m P d S*
Avroh: S* n d P m g R S


राग आसावरी का परिचय
वादी: ध॒
संवादी: ग॒
थाट: ASAWARI
आरोह: सारेमपध॒सां
अवरोह: सांनि॒ध॒पमग॒रेसा
पकड़: रेमपनि॒ध॒प
रागांग: उत्तरांग
जाति: AUDAV-SAMPURN
समय: दिन का प्रथम  प्रहर
 

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय