குமார் சானு
कुमार सानू हिंदी सिनेमा के एक जानेमाने पार्श्व गायक हैं। 20 अक्टूबर, 1957 को कोलकता में जन्मे कुमार सानू का मूल नाम केदारनाथ भट्टाचार्य है। उनके पिताजी स्वयं एक अच्छे गायक और संगीतकार थे। उन्होंने ही कुमार सानू को गायकी और तबला वादन सिखाया था। गायक किशोर कुमार को अपना आदर्श मानने वाले सानू ने गायकी में अपना खुद का अलग अंदाज़ बनाये रखा है।
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இனிமையான இசை வாழ்க்கை
संगीत एक सर्वाधिक सुरीली मानवीय क्रिया है। वह नाद स्वर ही था, जिससे इस संसार की रचना हुई थी। संगीत एक ऐसी विधा है, जिससे मानव भावना को सृजित किया जा सकता है तथा भावनाओं को अभिव्यक्त किया जा सकता है। यह संगीत है, जो मस्तिष्क को सुकून प्रदान करता है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा, जो कभी न कभी संगीत से अभिभूत न हुआ होगा। जहाँ तक भारत का प्रश्न है सदियों से हमारा संगीत से नाता रहा है।
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हसरत मोहानी
मौलाना हसरत मोहानी (1 जनवरी 1875 - 1 मई 1951) साहित्यकार, शायर, पत्रकार, इस्लामी विद्वान, समाजसेवक और "इंक़लाब ज़िन्दाबाद" का नारा देने वाले आज़ादी के सिपाही थे।
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பாடகர், இசையமைப்பாளர் மற்றும் இசையமைப்பாளர் பண்டிட் கே.ஜி. கிண்டே
Hindustani Classical Vocalist, teacher, composer and scholar, Pt. Krishna Gundopant Ginde famously known as Pt. K. G. Ginde was born on December 26, 1925, in Bailhongal, near Belgaum, Karnataka. He showed interest in music from an early age and devoted his entire life to its pursuit. He became a shishya of Pt. S N Ratanjankar at the age of 11 and moved to Lucknow to become a member of Ratanjankar`s household. S. N. Ratanjankar was then the Principal of Marris College of Music, founded by Bhatkhande.
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பாரம்பரிய பாடகர், இசையமைப்பாளர் மற்றும் குரு பண்டிட் ஹேமந்த் பென்ட்சே
Pandit Hemant Pendse, a rising star on the horizon of Indian Classical Music has by now established his own identity. Born in Dhule, he had his early schooling in Bhusawal & Jalgaon. He secured a Diploma in Mechanical engineering from Jalgaon Polytechnic. But he had true love for music it was in born in him and was promoted by his elder sister who was learning music in Bhusawal. Hemant received his early training at late Shri. Manohar Betavadkar. Later he found his real Guru in Late Pt. Jitendra Abhisheki. He lived with him as a member of his family from 1978-1990.
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।