राग मारू बिहाग | पंडित अजय चक्रवर्ती
Pandit Ajoy Chakraborty, is widely recognized as one of the leading performers of the Patiyala gharana following the footsteps of the connoisseurs like Ustad Bade Ghulam Ali Khan sahab. His music is marked by impeccable alaap, sweet with effortless ease in the style of Ustad Barkat Ali Khan sahib’s gayaki, he can equally portray even the most subtle features of other major classical gharanas. He has been awarded with the prestigious Padma Bhushan Award, the third highest civilian award in India in 2020. He is the first Indian classical vocalist to be invited by Pakistan and China and by BBC for their Golden Jubilee Celebration of India’s Independence. This is a tribute to this doyen of Patiyala Gharana which is a treat for every listener.
Raga Maru Behag is a very melodious Raga. In this Rishabh and Dhaivat Varjya in Aaroh, Madhyam Teevra (with rare use of Madhyam Shuddha), Rest all Shuddha Swaras are used. The intersection of these movements represents the confluence of the Kalyan and Bihag angas with the regular usage of both the Madhyams. Over the years and in the course of its journey across regions, the raga has acquired quaint touches and flavours reflecting the varieties of the different notes used in the raga.
Music Label: Music Today
पंडित अजय चक्रवर्ती, उस्ताद बड़े गुलाम अली खान साहब जैसे पारखी लोगों के नक्शेकदम पर चलते हुए पटियाला घराने के प्रमुख कलाकारों में से एक के रूप में पहचाने जाते हैं। उस्ताद बरकत अली खान साहब की गायकी की शैली में उनके संगीत को त्रुटिहीन आलाप, सहज सहजता के साथ मधुर, वे अन्य प्रमुख शास्त्रीय घरानों की सबसे सूक्ष्म विशेषताओं को भी समान रूप से चित्रित कर सकते हैं। उन्हें 2020 में भारत में तीसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वह पाकिस्तान और चीन और बीबीसी द्वारा भारत की स्वतंत्रता के स्वर्ण जयंती समारोह के लिए आमंत्रित किए जाने वाले पहले भारतीय शास्त्रीय गायक हैं। यह पटियाला घराने के इस महानायक के लिए एक श्रद्धांजलि है जो हर श्रोता के लिए एक दावत है।
राग मारू बेग एक बहुत ही मधुर राग है। आरोह में इस ऋषभ और धैवत वर्ण्य, मध्यम तीव्र (मध्यम शुद्ध के दुर्लभ उपयोग के साथ), बाकी सभी शुद्ध स्वरों का उपयोग किया जाता है। इन आंदोलनों का प्रतिच्छेदन दोनों माध्यमों के नियमित उपयोग के साथ कल्याण और बिहाग अंग के संगम का प्रतिनिधित्व करता है। वर्षों से और क्षेत्रों में अपनी यात्रा के दौरान, राग ने राग में प्रयुक्त विभिन्न नोटों की किस्मों को दर्शाते हुए विचित्र स्पर्श और स्वाद प्राप्त किए हैं।
म्यूजिक लेबल: म्यूजिक टुडे
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संबंधित राग परिचय
मारू बिहाग
राग मारूबिहाग बहुत ही सुन्दर राग है। म ग रे सा गाते समय रिषभ को सा का स्पर्श देना चहिये। जैसे इस स्वर संगति मे दर्शाया गया है -
,नि सा ग म् ग रे सा ; ग म् प नि ; नि सा' ; सा' नि ध प नि सा' ध प ; म् ग म् ग रे सा ; सा म म ग ; प ध प म् ; ग म् ग रे सा ;
राग मारू बिहाग के संक्षिप्त परिचय के साथ आज सरगम पर प्रस्तुत हैं शुभा मुद्गल ( मुदगल) के स्वर मे सावनी झूला । झूला ,कजरी आदि विधायें हिन्दुस्तानी संगीत मे उपशास्त्रीय अंग के रूप मे जाने जाते हैं । कजरी के मूलतः तीन रूप हैं- बनारसी, मिर्जापुरी और गोरखपुरी । पं छन्नूलाल मिश्र,शोभा गुर्टू,गिरिजा देवी जैसे दिग्गज ,इस क्षेत्र के जाने माने हस्ताक्षर हैं । कजरी के बोलो मे जहाँ एक ओर नायिका के विरह का वर्णन होता है ,झूला मे वहीं अधिकतर राधा कृष्ण के रास व श्रंगार से संबन्धित बोलों का समावेश होता है ।
राग मारू बिहाग का संक्षिप्त परिचय-
थाट-कल्याण
गायन समय-रात्रि का द्वितीय प्रहर
जाति-ओडव-सम्पूर्ण (आरोह मे रे,ध स्वर वर्जित हैं)
विद्वानों को इस राग के वादी तथा संवादी स्वरों मे मतभेद है-
कुछ विद्वान मारू बिहाग मे वादी स्वर-गंधार व संवादी निषाद को मानते है इसके विपरीत अन्य संगीतज्ञ इसमे वादी स्वर पंचम व संवादी स्वर षडज को उचित ठहराते हैं ।
प्रस्तुत राग मे दोनो प्रकार के मध्यम स्वरों ( शुद्ध म व तीव्र म ) का प्रयोग होता है । शेष सभी स्वर शुद्ध प्रयुक्त होते हैं ।
मारू बिहाग आधुनिक रागों की श्रेणी मे आता है। इसके रचयिता उ0 स्वर्गीय अल्लादिया खां साहब माने जाते हैं
इस राग के समप्रकृति राग -बिहाग,कल्याण व मार्ग बिहाग हैं ।
मारू बिहाग का आरोह,अवरोह पकड़-
आरोह-नि(मन्द्र) सा म ग,म(तीव्र)प,नि,सां ।
अवरोह-सां,नि ध प,म(तीव्र)ग,म(तीव्र)ग रे,सा ।
पकड़-प,म(तीव्र)ग,म(तीव्र)ग रे,सा,नि(मन्द्र)सा म ग,म(तीव्र)प,ग,म(तीव्र)ग,रे सा ।
थाट
राग
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राग मारू बिहाग का परिचय
राग मारू बिहाग का परिचय
वादी: प
संवादी: सा
थाट: KALYAN
आरोह: ऩिसागम म॓प निसां
अवरोह: सां निधप म॓ग म॓ग रेसा
पकड़: म॓गम॓गरे साऩिसामगप म॓ग म॓ग रेसा
रागांग: उत्तरांग
जाति: AUDAV-SAMPURN
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: आरोह में म एवं अवरोह में म तथा म॓ दोनो लगता है। न्यास-ग,प,नि। कल्याण से बचने के लिये म का प्रयोग तथा बिहाग की छाया से बचने के लिये अवरोह में म॓ का प्रयोग होता है।