गोपिकाबसन्त
इसे आसावरी थाट जन्य माना जाता है। इसमें गंधार, धैवत और निषाद स्वर कोमल लगते है। ऋषभ वर्ज्य होने की वजह से इसकी जाति षाडव है। वादी मध्यम और संवादी षडज है। गायन समय दिन का दूसरा प्रहर है।
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
राग
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राग गोपिका बसंत स्वर लिपि
स्वर | रिषभ वर्ज्य। गन्धार, धैवत और निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर। |
जाति | षाढव - षाढव वक्र |
थाट | आसावरी |
वादी/संवादी | षड्ज/पंचम |
समय | दिन का प्रथम प्रहर |
विश्रांति स्थान | सा म - सा' प ग१ |
मुख्य अंग | ,ध१ ,नि१ सा ग१ म प ; नि१ ध१ म प ग१ म ग१ सा ; ग१ म ध१ नि१ ध१ प ; ध१ म प ग१ म ग१ सा ; ,ध१ ,नि१ सा ; |
आरोह-अवरोह | सा ग१ म प म ग१ ग१ म ध१ नि१ सा' - सा' नि१ ध१ म प ग१ म प म ग१ सा; ,ध१ ,नि१ सा ग१ म ग१ सा; |
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Raag Gopika Basant by Shri Prakash Vishwanath Ringe
Raag Gopika Basant by Shri Prakash Vishwanath Ringe, son and disciple of Late Acharya Vishwanath Rao Ringe 'Tanarang' of Gwalior Gharana.
Chota Khyal: Jai Jai Jai Jagat Janani, Taal: Ektal Drut
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संबंधित राग परिचय
गोपिका बसन्त
यह एक बहुत ही मीठा राग है। इस राग में राग मालकौन्स की झलक दिखाई देती है, पर पंचम का उपयोग करने से यह राग मालकौन्स से अलग दिखाई देता है। आरोह में पंचम का उपयोग कम किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग गोपिका बसंत का रूप दर्शाती हैं -
,ध१ ,नि१ सा ; ग१ ग१ म ग१ सा ; सा ग१ म प म ; म प म ग१ सा ; ग१ म ध१ ध१ नि१ ध१ म ; प ध१ नि१ ; म नि१ ध१ ; प म ग१ म प ; ग१ म ग१ ; नि१ ध१ म प ग१ म ; ग१ म प म ग१ सा ,ध१ ,नि१ ,ध१ सा ,नि१ ग१ सा ; ग१ म ग१ सा ; नि१ ध१ प नि१ ध१ प म ग१ ; प म प म ग१ ; ग१' सा' नि१ ; ध१ नि१ ; प ध१ म प ग१ म ; प म ग१ सा ; ,ध१ ,ध१ ,नि१ ,नि१ सा ;.
थाट
राग जाति
राग
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गोपिकाबसन्त
इसे आसावरी थाट जन्य माना जाता है। इसमें गंधार, धैवत और निषाद स्वर कोमल लगते है। ऋषभ वर्ज्य होने की वजह से इसकी जाति षाडव है। वादी मध्यम और संवादी षडज है। गायन समय दिन का दूसरा प्रहर है।
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
राग
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राग गोपिका बसंत
यह एक बहुत ही मीठा राग है। इस राग में राग मालकौन्स की झलक दिखाई देती है, पर पंचम का उपयोग करने से यह राग मालकौन्स से अलग दिखाई देता है। आरोह में पंचम का उपयोग कम किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग गोपिका बसंत का रूप दर्शाती हैं -
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राग गोपिका बसंत स्वर लिपि
स्वर | रिषभ वर्ज्य। गन्धार, धैवत और निषाद कोमल। शेष शुद्ध स्वर। |
जाति | षाढव - षाढव वक्र |
थाट | आसावरी |
वादी/संवादी | षड्ज/पंचम |
समय | दिन का प्रथम प्रहर |
विश्रांति स्थान | सा म - सा' प ग१ |
मुख्य अंग | ,ध१ ,नि१ सा ग१ म प ; नि१ ध१ म प ग१ म ग१ सा ; ग१ म ध१ नि१ ध१ प ; ध१ म प ग१ म ग१ सा ; ,ध१ ,नि१ सा ; |
आरोह-अवरोह | सा ग१ म प म ग१ ग१ म ध१ नि१ सा' - सा' नि१ ध१ म प ग१ म प म ग१ सा; ,ध१ ,नि१ सा ग१ म ग१ सा; |
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Raag Gopika Basant by Shri Prakash Vishwanath Ringe
Raag Gopika Basant by Shri Prakash Vishwanath Ringe, son and disciple of Late Acharya Vishwanath Rao Ringe 'Tanarang' of Gwalior Gharana.
Chota Khyal: Jai Jai Jai Jagat Janani, Taal: Ektal Drut
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राग गोपिका बसंत
यह एक बहुत ही मीठा राग है। इस राग में राग मालकौन्स की झलक दिखाई देती है, पर पंचम का उपयोग करने से यह राग मालकौन्स से अलग दिखाई देता है। आरोह में पंचम का उपयोग कम किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग गोपिका बसंत का रूप दर्शाती हैं -
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