Gorakh Kalyan

यह एक बहुत ही मीठा और प्रभावशाली राग है। आरोह में तीन स्वर वर्ज्य होने के कारण इस राग की जाति सुरतर कहलाती है।

इस राग में मध्यम एक महत्वपूर्ण स्वर है जो इस राग का वादी और न्यास स्वर है। इसी कारण यह राग नारायणी से अलग हो जाता है, जिसमें न्यास और वादी स्वर पंचम है। गोरख कल्याण में मन्द्र सप्तक का कोमल निषाद एक न्यास स्वर है जो इस राग की पहचान है। आरोह में निषाद वर्ज्य है जिसके कारण यह राग बागेश्री से अलग हो जाता है। परन्तु कोमल निषाद को आरोह में अल्प स्वर के रूप में लगाते हैं जो इस राग की सुंदरता बढ़ाता है जैसे - ,ध ,नि१ रे सा या ,नि१ सा रे सा

Seven tones, ornaments and harmonium

Indian music is based on the disciplined use of tones and rhythms. The group of seven vowels is called octave. The Indian music octave has seven tones-

Sa (Shadaj), Re (Rishabh), G (Gandhar), Ma (Medium), Pa (Pancham), Dha (Dhaivat), Ni (Nishad)

Of course

Sa, re, c, m, padh, ni

Hobby made the house a museum

India has given a lot of height to music. Here music and its musical instruments were not confined to mere entertainment but were carried through the temple and monastery to the science laboratory.

Abdul Aziz of Jaipur has inherited music training. But he devoted his time to the preservation and collection of musical instruments.

Aziz's house is adorned with rare musical instruments.

They have more than 600 accessories. These include ornaments from the Buddhist period to the time of the Mughal and Rajput kings. Aziz searches and collects musical instruments.

Indian world of seven notes

The process of creation of creation took place with Naad. When the first big bang happened, Adi Naad was generated. The original sound whose symbol is ‘om’ is called Nadavrahm. In the Patanjali Yogasutra, Patanjali Muni has described it as the expression of ‘Tasya Vachak Pranav:’. It is said in Mandukyopanishad-

ओमित्येतदक्षरमिदम्⁇ सर्वं तस्योपव्याख्यानं
भूतं भवद्भविष्यदिपि सर्वमोड्⁇ ंकार एवं
यच्यान्यत्⁇ त्रिकालातीतं तदप्योङ्कार एव॥
माण्डूक्योपनिषद्⁇ -1॥

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय