शिवमत भैरव

संक्षिप्त परिचय:- इस राग की रचना भैरव थाट से मानी गई है। इसमें दोनों गंधार, दोनों निषाद, तथा ऋषभ- धैवत कोमल प्रयोग किये जाते हैं। जाति वक्र संम्पूर्ण है। वादी स्वर धैवत और संवादी ऋषभ है। गायन समय प्रातःकाल है।
आरोह– सा रे ग म प ध नि सां।
अवरोह– सां नि ध प, नि ध प म ग म रे सा, नि सा ग रे सा।

शिवमत भैरव विशेषता:-

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

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