Raag
भैरव राग
भैरव राग हिन्दूस्थानी संगीतया छगू राग ख। थ्व भैरवथाटया अबु राग ख। थ्व उत्तराङ्ग प्रधान राग ख। थ्व राग गम्भीर कथं हाः सा वीररस पिहांवइ । ध्रुपद शैलीइ थ्व राग आपालं छ्यलि। कर्णाटकसङ्गीतय् थ्व रागयात "मायामाळवगौळ" धका म्हसीकिगु या। सङ्गीत अध्ययनया आरम्भय् थ्व राग स्यनि। थ्व रागया वादिस्वर द्वैतः दु। थुकिया संवादिस्वर वृषभः ख। मध्यमात् वृषभाय मीण्ड(शास्त्रीयभाषां) मनोरञ्जक रसोत्पत्ति याइ। हनूमान् मतानुसार थ्व प्रथमप्रहरस्य राग ख।
श्लोक :
थ्व रागया दसु थ्व कथं दु-
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राग भैरव
भैरव हा भारतीय शास्त्रीय संगीतातील एक राग आहे.
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ಭೈರವ್ (ರಾಗ )
ಭೈರವ್ ,ಅಥವಾ ಭೈರೋನ್ , ಹಿಂದುಸ್ತಾನಿ ಶಾಸ್ತ್ರೀಯ ಸಂಗೀತದಲ್ಲಿ ಶತಮಾನಗಳಿಂದ ಪ್ರಮುಖವಾದ ಒಂದು ರಾಗ. ಭೈರವ್ ಎಂಬ ಹೆಸರು ಶಿವನ ಅವತಾರವಾದ ಭೈರವ ಎಂಬುವುದರಿಂದ ಬಂದಿದ್ದು,ಇದು ಘನತೆ ಮತ್ತು ಗಾಂಭೀರ್ಯಕ್ಕೆ ಐತಿಹಾಸಿಕವಾಗಿ ಸಂಬಂಧಿಸಿದ್ದರೂ ಶಾಂತ ಮತ್ತು ಭಕ್ತಿ ರಸ ಪ್ರಧಾನವಾಗಿದೆ. ರಾಗ ಭೈರವ್ ಕೆಲವೊಮ್ಮೆ ಭೈರವನ (ಶಿವ )ನ ಹೆಂಡತಿ ಭೈರವಿ ಎಂಬ ಅರ್ಥದಲ್ಲಿ ಭೈರವಿ ರಾಗದೊಂದಿಗೆ ಗುರುತಿಸಲ್ಪಡುತ್ತದೆ.
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ಅಹಿರ್ ಭೈರವ್
'ಅಹಿರ್ ಬೈರವ್' ಹಿಂದೂಸ್ತಾನಿ ಸಂಗೀತ ಪದ್ಧತಿಯ ಒಂದು ಪ್ರಮುಖ ರಾಗ. ಭೈರವಥಾಟ್ ನಲ್ಲಿ ಸೇರಿದೆ.ಕರ್ನಾಟಕ ಸಂಗೀತ ಪದ್ಧತಿಯಲ್ಲಿ ಇದನ್ನು ಚಕ್ರವಾಕವೆಂದು ಕರಯುತ್ತಾರೆ.ಇದು ಮುಂಜಾನೆಯ ರಾಗ.
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राग अहीर भैरव
राग अहीर भैरव भैरव थाटया छगू राग ख।
राग अहीर भैरव : इतिहास
राग अहीर भैरव सीक्क पुलांगु राग ख। थ्व रागया बारेय् प्राचीन ग्रन्थय् नं च्वयातःगु दु।
गुण
राग अहीर भैरवया गुण थ्व कथं दु[१]-
थाट:भैरव
पहर:सुथे
स्वर: कोमल ऋषभ, कोमल निषाद, मेगु सकल शुद्ध
छ्य्लातःगु म्ये
थ्व राग छ्येला देकातःगु म्ये थ्व कथं दु-
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अहीर भैरव
अहीर भैरव हा हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतातील एक राग आहे.
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আলাহিয়া-বিলাবল
রাগ : আলাহিয়া বিলাবল
ঠাট: বিলাবল।
আরোহণ : সা রে গ রে, গ প, ধ নি র্সা অবরোহণ : র্সা নি ধ প ধ নি ধ প ম গ ম রে সা
জাতি : বক্র সম্পূর্ণ। বাদী স্বর: ধ। সমবাদী স্বর: গ। অঙ্গ : উত্তরান্গ। পরিবেশনন সময় : দিবা প্রথম প্রহর অর্থাৎ সকাল ৬টা হতে ৯ টা। (মতান্তর এ দিবা দ্বিতীয় প্রহর)। প্রকৃতি : শান্ত পকড় : গরে গপ, ধ, নি র্সা। ন্যাস স্বর: রে,গা,প,ধ।
বিশেষত্ব : ইহা বিলাবল এর সাথ সামঞ্জস্য পূর্ণ রাগ। তবে অবরোহ গতি তে অল্প পরিমাণ এ কোমল নিষাদ প্রয়োগ করা হয়। এতে নি ও গ স্বর দ্বয় বক্র গতিতে ব্যবহার হয়।
राग के अन्य नाम
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ଅଡ଼ାଣା (ରାଗ)
ଅଡ଼ାଣା ଏକ ହିନ୍ଦୁସ୍ତାନୀ ରାଗ ଅଟେ । ଏହାକୁ ଅଡ଼ାଣା କାନାଡା ମଧ୍ୟ କୁହାଯାଏ । ଏହି ରାଗର ପ୍ରବାହ ମଧ୍ୟମଦ ସରଙ୍ଗାର ମିଶ୍ରଣର ଦରବାରି ସମାନ ଅଟେ । ଏକ ସାଧାରଣ ବିବାଦୀ କିଛି କଳାକାରମାନଙ୍କ ଉପଯୋଗ ପାଖାପାଖି ଖୁବ କମ ହୋଇଥାଏ ଯାହା ଶୁଦ୍ଦ ni ଅଟେ, ଯାହା ରାଗର ସରଙ୍ଗା ମୂଡ଼କୁ ବଢେଇଥାଏ ।
ଆରୋହ ଏବଂ ଅବରୋହ
ଆରୋହଣ S R M P n P M P n S' ପ୍ରାୟତଃ ଛୋଟ
S R g M P n P S'
ଅବରୋହଣ S' d n P g M R s
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अडाना
राग अडाणा हा भारतीय शास्त्रीय संगीतातील एक राग आहे.
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जौनपुरी
Jonpuri
Thaat: Asavari
Jati: Chhadav-Sampooran (6/7)
Vadi: D
Samvadi: G
Vikrit: G,D & N komal
Virjit: G in aroh
Aroh: S R m P d n S*
Avroh: S* n d P m g R S
Time: Day Second Pehar
Jaunpuri is an Shadhav – Sampurna (consists of 6 notes in Aaroh and 7 notes in Aavroh) raga from the Hindustani music tradition. It is one of the ragas of choice for songs which show Bhakti or Grandeur.
WHEN IS RAAG JAUNPURI SUNG?
Raag Jaunpuri is usually sung in the morning from 9 am – 12 pm.
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