Pancham Jogeshwari
पंचम जोगेश्वरी - यह राग आचार्य तनरंग जी की कल्पना है, जिसमें पंचम का उपयोग अवरोह में विशेष रूप से किया जाता है। पंडित रवि शंकर द्वारा बनाए गए राग जोगेश्वरी से इस राग में पंचम की उपस्थिति के कारण थोड़ी सी भिन्नता है। अवरोह में पंचम का उपयोग इस प्रकार से किया जाता है - सा ग म ग१ सा ; ग म (प) म ग१ सा ; सा ग म प म ; प ग म ग१ सा ; ग म ध म ग ; ग म ध नि१ ध म ग ; ग म (प) म ग१ सा
अवरोह में धैवत से मध्यम की ओर आते हुए पंचम का उपयोग नहीं किया जाता। पंचम का अधिकतर कण स्वर के रूप में प्रयोग किया जाता है। पंचम को म (प) म या ग म प म ग१ सा इस तरह से लगाया जाता है।
राग पंचम जोगेश्वरी और राग जोगेश्वरी का चलन एक जैसा ही प्रतीत होता है जिसमें पूर्वांग में राग जोग और उत्तरांग में राग रागेश्री का मिश्रण है। यह स्वर संगतियाँ राग पंचम जोगेश्वरी का रूप दर्शाती हैं -
,ध ,नि१ ,ध ,नि१ सा ; सा ,नि१ ग१ सा ; सा ग ग म ; म ग म ग१ सा ; सा ग म प म ; म ग म ध ; ग म म ध ; ध म ध ग म ; म ग (प) म ग१ सा ; सा ग म ध नि१ ध नि१ सा' ; सा' ग१' सा' नि१ ध ; सा' नि१ ध म ; नि१ ध म ग ; ध म ग म ; (प) म ग१ सा ;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
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