Devshree
Anand
Thu, 11/03/2021 - 23:22
यह अपेक्षाकृत नया, मधुर और अप्रचलित राग है। इस राग में कोई वक्रता नही है। यह तीनों सप्तकों में उन्मुक्त रूप से गाया जा सकता है। राग मेघ मल्हार के स्वरों में यदि मध्यम शुद्ध की जगह मध्यम तीव्र का उपयोग किया जाए तो यह मिठास से भरपूर आकर्षक राग सामने आता है। यह स्वर संगतियाँ राग देवश्री का रूप दर्शाती हैं -
सा रे म् रे ; सा ,नि१ सा रे सा; रे म् प ; म् प नि१ प ; म् प नि१ म् प ; रे म् प ; म् प नि१ नि१ सा'; नि१ सा' रे' सा'; रे' नि१ सा' ; नि१ प म् प ; म् रे सा रे ; ,नि१ सा; ,प ,नि१ सा ;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
आरोह अवरोह
स रे म प नी स' - स' नी प म रे स ;
वादी स्वर
पंचम/रिषभ
संवादी स्वर
पंचम/रिषभ
Tags
- Log in to post comments
- 180 views