संगीत की दुनिया का अनूठा राग है ‘तानसेन समारोह’

‘तानसेन समारोह’ अपने आप में एक अनूठी मिसाल पेश करता है। इस समारोह को लेकर कई रोचक तथ्यों के बारे में शायद आपने नहीं सुना होगा इसलिये हम आपको बताते हैं कि तानसेन समारोह क्या है, इसकी शुरूआत किसने की, यह क्यों मनाया जाता है और इसकी खास बात क्या है ? इस तरह के विभिन्न सवाल आपके मन में निश्चित रूप से उठ रहे होंगे, जिसके जवाब आपको विस्तारपूर्वक नीचे दिये गए हैं।

കേദാർ (രാഗം)

കേദാർ (രാഗം) : കേദാര എന്നും അറിയപ്പെടുന്ന കേദാർ ഒരു ഹിന്ദുസ്ഥാനി ക്ലാസിക്കൽ രാഗം ആണ്. ഇന്ത്യൻ ക്ലാസിക്കൽ സംഗീതത്തിലെ ഒരു ഉയർന്ന നിരയിലുള്ള ഈ രാഗം ഭഗവാൻ ശിവൻെറ പേരിലാണ് അറിയപ്പെടുന്നത്. സമർത്ഥവും ശ്രുതിമധുരവുമായ ഈ രാഗം സങ്കീർണ്ണവും എന്നാൽ വാക്കുകളിൽ പ്രകടിപ്പിക്കാൻ പ്രയാസമാണ്. കല്യാൺ ഥാട്ടിൽ നിന്നാണ് ഈ രാഗം ഉത്ഭവിച്ചത്

Babanrao Haldankar

Srikrishna Haldankar (1927 – 17 November 2016), better known as Babanrao Haldankar, was an Indian classical singer, composer, and music teacher of Agra gharana of Hindustani classical music.

Life and career
Babanrao Haldankar was the son of painter Sawlaram Haldankar (1882–1968), and has won awards through his career.and was an Adjunct Professor of Indian Music at the University of Mumbai.

Shobha Gurtu

Shobha Gurtu (1925–2004) was an Indian singer in the light Hindustani classical style. Though she had equal command over pure classical style, it was with light classical music that she received her fame, and in time came to be known as the Thumri Queen, and for the 'Abhinaya' sang in her full-throated voice

Sangmeshwar Gurav

Sangameshwar Gurav was a singer associated with the Kirana Gharana movement. He was taught musical skills by Ganpatrao Gurav.

Career
Gurav was born in Jamkhandi where his father, Ganpatrao Gurav, was a court musician. Ganpatrao was a direct descendant of Abdul Karim Khan. He was raised by father in Dharwad. He was a teacher in the music department of Karnatak University where he worked alongside Mallikarjun Mansur, Basavraj Rajguru, and Gangubai Hangal.

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय