Drums of the Desert ❤️ Raag Malkauns ❤️ Alap
Drums of the Desert | Raag Malkauns | Alap Artist: H.P.Ramamurthy These drums are tuned to the various notes of the octave, which enables the player to coax ragas and melodies from them. The Tabla player who has attained finesse in playing his instrument may venture into tabla tarang playing and become the main player. Disjunct notes and limited range (not more than 16 instruments can be played because the player cannot reach out to too many) are the limitations of the instrument. Yet it is a novelty as it turns a rhythmic instrument into a melody instrument. Sound is produced by striking the tablas with the fingers and is both mellow and melodious. Subscribe to our Indian Classical Music Channel: https://goo.gl/jka332 #tablatarang #hpramamurthy #drumsofthedesert #melodyondrums
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राग
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संबंधित राग परिचय
मालकौन्स
राग मालकौन्स रात्रि के रागों में बहुत ही लोकप्रिय राग है। इस राग के युगल स्वरों में परस्पर संवाद अधिक होने से इसमें मधुरता टपकती है। इस राग का चलन विशेषतया मध्यम पर केंद्रित रहता है। मध्यम पर निषाद, धैवत तथा गंधार स्वरों पर आन्दोलन करके मींड के साथ आने से राग का स्वतंत्र अस्तित्व झलकता है। इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में समान रूप से किया जाता है। इस राग की प्रक्रुति शांत व गंभीर है। यह स्वर संगतियाँ राग मालकौन्स का रूप दर्शाती हैं -
ग१ ग१ म ; ,ध१ ,नि१ सा म ; ग१ म ग१ ; ग१ म ग१ सा ; म म ; ध१ ध१ नि१ नि१ ध१ म ; ग१ ग१ म ग१ सा ; ,नि१ ,नि१ सा ग१ ; सा ग१ म ध१ म ; म ध१ नि१ ध१ म ; ग१ म ध१ नि१; म ध१ नि१ ; नि१ सा' ; नि१ नि१ सा' ; ग१' म' ग१' सा' ; नि१ सा' ध१ नि१ ध१ म ; ग१ म ग१ नि१ ; नि१ ध१ ; ध१ म ग१ ग१ म ; ग१ सा;
राग मालकौंस ठाठ भैरवी से उत्पन्न माना जाता है.
इस राग की जाति- औडव-औडव है. रे व प वर्ज्य स्वर हैं,
गायन समय रात का तीसरा प्रहर है.
वादी - म, संवादी- सा
इस राग में ग, ध, व नि कोमल लगते हैं
आरोह- सा ग॒ म ध॒ नि॒ सां
अवरोह- सां नि॒ म ग॒ सा
पकड़- ध़॒ नि़॒॒॒ सा म, ग़॒ म ग़॒ सा
विशेषता- इस राग का चलन तीनों सप्तक में एक ही जैसा होता है
इस राग में अगर नि को शुद्ध कर दिया जाए तो यह राग चन्द्रकोश हो जाएगा
इस राग के न्यास के स्वर हैं - सा ग॒ म
इस राग में मींड, गमक और कण का खूब प्रयोग किया जाता है
कुछ विशेष स्वर संगतियाँ -
म ग॒ म ग॒ सा
ग॒ म ध़॒ नि़॒ सां
सां नि॒ ध॒ नि॒ ध॒ म
राग मालकौंस या मालकोश में सुनिये रशीद खां द्वारा गाई यह प्रसिद्ध बन्दिश (आज मोरे घर आये ...)
थाट
राग के अन्य नाम
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राग
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राग मालकोश का परिचय
राग मालकोश का परिचय
वादी: म
संवादी: सा
थाट: BHAIRAVI
आरोह: साग॒मध॒नि॒सां
अवरोह: सांनि॒ध॒म ग॒मग॒सा
पकड़: ध़॒ऩि॒साम ग॒मग॒सा
रागांग: उत्तरांग
जाति: AUDAV-AUDAV
समय: रात्रि का तृतीय प्रहर
विशेष: वर्ज्य-रे प। न्यास-सा, ग॒, म। तीनों सप्तक में चलन।