भटियार
Bhatiyar
Anand
Thu, 11/03/2021 - 22:07
राग भटियार मारवा ठाट से उत्पन्न राग है। सा ध ; नि प ; ध म ; प ग; यह राग भटियार की राग वाचक स्वर संगतियाँ हैं। यह राग वक्र है और गाने में कठिन है इसीलिए इसे गुरुमुख से ही सीखना ही उचित है।
इस राग में मांड की कुछ झलक भी दिखाई देती है। नि ध नि प ध म - इन स्वरों से राग मांड झलकता है। आरोह में रिषभ और निषाद दुर्बल हैं। अवरोह में शुद्ध मध्यम एक न्यास का स्वर है। उत्तरांग का प्रारम्भ तीव्र मध्यम से किया जाता है। इस राग से वातावरण में उग्रता का भाव उत्पन्न होता है। इसे तीनों सप्तकों में गाया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग भटियार का रूप दर्शाती हैं -
- Read more about Bhatiyar
- Log in to post comments
- 4223 views
Rag Bhatiar राग भटियार
Anand
Mon, 31/01/2022 - 11:41
भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित ये संगीतमय कार्यक्रम राग भटियार की बंदिश, सरगम, आरोह, अवरोह, गत, और गायन समय के बारे में बताता है|