भटियार
भटियार
राग भटियार मारवा ठाट से उत्पन्न राग है। सा ध ; नि प ; ध म ; प ग; यह राग भटियार की राग वाचक स्वर संगतियाँ हैं। यह राग वक्र है और गाने में कठिन है इसीलिए इसे गुरुमुख से ही सीखना ही उचित है।
इस राग में मांड की कुछ झलक भी दिखाई देती है। नि ध नि प ध म - इन स्वरों से राग मांड झलकता है। आरोह में रिषभ और निषाद दुर्बल हैं। अवरोह में शुद्ध मध्यम एक न्यास का स्वर है। उत्तरांग का प्रारम्भ तीव्र मध्यम से किया जाता है। इस राग से वातावरण में उग्रता का भाव उत्पन्न होता है। इसे तीनों सप्तकों में गाया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग भटियार का रूप दर्शाती हैं -
- Read more about भटियार
- 5 comments
- Log in to post comments
- 4223 views
Rag Bhatiar राग भटियार
भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित ये संगीतमय कार्यक्रम राग भटियार की बंदिश, सरगम, आरोह, अवरोह, गत, और गायन समय के बारे में बताता है|
राग भटियार | पंडित जसराज
संबंधित राग परिचय
भटियार
राग भटियार मारवा ठाट से उत्पन्न राग है। सा ध ; नि प ; ध म ; प ग; यह राग भटियार की राग वाचक स्वर संगतियाँ हैं। यह राग वक्र है और गाने में कठिन है इसीलिए इसे गुरुमुख से ही सीखना ही उचित है।
इस राग में मांड की कुछ झलक भी दिखाई देती है। नि ध नि प ध म - इन स्वरों से राग मांड झलकता है। आरोह में रिषभ और निषाद दुर्बल हैं। अवरोह में शुद्ध मध्यम एक न्यास का स्वर है। उत्तरांग का प्रारम्भ तीव्र मध्यम से किया जाता है। इस राग से वातावरण में उग्रता का भाव उत्पन्न होता है। इसे तीनों सप्तकों में गाया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग भटियार का रूप दर्शाती हैं -
सा म ; म प ; म ध प म ; प ग ; प ग रे१ सा ; सा ध ; ध नि प ; ध म ; ध प ; ग प ग रे१ सा ; म् ध सा' ; सा' नि रे१' नि ध प ; ध नि ; प ध ; म ; ध प ग रे१ सा ; सा ,नि ,ध सा ,नि रे१ ग म ध प ; ग प ग रे१ सा ;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
राग
- Log in to post comments
- 4223 views
Comments
राग भटियार का परिचय
राग भटियार का परिचय
वादी: म
संवादी: सा
थाट: MARWA
आरोह: सानिधनिपम पग म॓धसां
अवरोह: सांध धप धनिपम पग म॓गरेसा
पकड़: धपम पग रे॒सा
रागांग: पूर्वांग
जाति: SAMPURN-SAMPURN
समय: रात्रि का तृतीय प्रहर
विशेष: न्यास-सा म प। अल्पत्व-म॓। यह मांड( धमपग) एवं भंखार (पगरे॒सा) का मिश्रण है। दोनो से बचाव के लिये साम,पध का प्रयोग। चलन वक्र। पगरे॒सा से इस राग का स्वरूप व्यक्त होता है।
- Log in to post comments
राग भटियार
वक्र सम्पूरन जाति में, मध्यम दोउ सम्हार।
रे ध कोमल म स संवाद, सोहत राग भटियार।।
- Log in to post comments
राग भटियार की न्यास के स्वर
न्यास के स्वर– सा, म और प
- Log in to post comments
राग भटियार समप्रकृति राग
समप्रकृति राग– भंखार।
- Log in to post comments
राग भटियार का परिचय
राग भटियार का परिचय
वादी: म
संवादी: सा
थाट: MARWA
आरोह: सानिधनिपम पग म॓धसां
अवरोह: सांध धप धनिपम पग म॓गरेसा
पकड़: धपम पग रे॒सा
रागांग: पूर्वांग
जाति: SAMPURN-SAMPURN
समय: रात्रि का तृतीय प्रहर
विशेष: न्यास-सा म प। अल्पत्व-म॓। यह मांड( धमपग) एवं भंखार (पगरे॒सा) का मिश्रण है। दोनो से बचाव के लिये साम,पध का प्रयोग। चलन वक्र। पगरे॒सा से इस राग का स्वरूप व्यक्त होता है।