গণিতের সুন্দর, যেমন কোনো গানের মতো কোনো কবিতা

गणित को सबसे कठिन माना जाता है लेकिन एक ताज़ा शोध में पता चला है कि गणित के सूत्र में मौजूद अंकों और अक्षरों का जटिल सिलसिला मस्तिष्क में आनंद की वैसी ही अनुभूति पैदा करता है, जैसी एक शानदार कलाकृति को देखकर या महान संगीतज्ञों का संगीत सुनकर पैदा होती है,

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में ब्रेन स्कैनिंग के दौरान कुछ गणितज्ञों को 'अप्रिय' और 'सुंदर' समीकरणों को दिखाया गया.

शोधकर्ताओं ने पाया कि कला को सराहने में मस्तिष्क का जो हिस्सा सक्रिय होता है वही हिस्सा 'सुंदर' गणित से उत्प्रेरित होता है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि सुंदरता के न्यूरोबायोलाजिकल कारण हो सकते हैं.

গান-সঙ্গীত থেকে ছিল অনেক রোগের চিকিৎসা

बीमारियों का इलाज अब सिर्फ दवाइयों से ही नहीं, बल्कि अपरंपरागत उपचार विधियों से भी किया जाने लगा है। सुगंध, स्पर्श से लेकर संगीत द्वारा भी बहुत सी बीमारियों का इलाज किया जाने लगा है। बहुत से शोधों के उपरांत चिकित्सा विज्ञान भी यह मानने लगा हैं कि प्रतिदिन 20 मिनट अपनी पसंद का संगीत सुनने से रोजमर्रा की होने वाली बहुत-सी बीमारियों से निजात पाई जा सकती है।
हाल ही में खबर आई है कि कई दिनों से कोमा में पड़ा एक बच्चा अपनी मां की लोरी सुनकर होश में आ गया। यह सिद्ध करता है कि ध्वनि तरंगों के माध्यम से भी उपचार किया जा सकता है।

9 বছর বয়সে সর্বোপরি গানা কমপোজ করা ছিল আরডি বর্মন নে

1) 27 जून 1939 को कोलकाता में जन्मे राहुल देव बर्मन के पिता सचिन देव बर्मन की गिनती बॉलीवुड के महान संगीतकारों में होती है। राहुल ने अपने पिता की परम्परा को आगे बढ़ाया। 
 
2) आरडी को पंचम नाम से फिल्म जगत में पुकारा जाता था। पंचम नाम के पीछे मजेदार किस्सा है। आरडी बचपन में जब भी गुनगुनाते थे, प शब्द का ही उपयोग करते थे। यह बात अभिनेता अशोक कुमार के ध्यान में आई। सा रे गा मा पा में ‘प’ का स्थान पाँचवाँ है। इसलिए उन्होंने राहुल देव को पंचम नाम से पुकारना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनका यही नाम लोकप्रिय हो गया।
 

सचिन देव बर्मन : ओ जाने वाले हो सके तो देख के आना

हरदिल अजीज संगीतकार सचिनदेव बर्मन का मधुर संगीत आज भी श्रोताओं को भाव-विभोर करता है। उनके जाने के बाद भी संगीतप्रेमियों के दिल से एक ही आवाज निकलती है- 'ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना...।'
सचिनदेव बर्मन का जन्म एक अक्टूबर 1906 में त्रिपुरा के शाही परिवार में हुआ। उनके पिता जाने-माने सितारवादक और ध्रुपद गायक थे। बचपन के दिनों से ही सचिनदेव बर्मन का रुझान संगीत की ओर था और वे अपने पिता से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लिया करते थे। इसके साथ ही उन्होंने उस्ताद बादल खान और भीष्मदेव चट्टोपाध्याय से भी शास्त्रीय संगीत की तालीम ली।
 

এ আর রহমান

        अल्लाह रक्खा रहमान हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार हैं। इनका जन्म ६ जनवरी १९६७ को चेन्नई, तमिलनाडु, भारत में हुआ। जन्म के उपरांत उनका नाम ए. एस. दिलीपकुमार मुदलियार रखा गया था, जिसे बाद में बदलकर वे ए. आर. रहमान बनें। सुरों के बादशाह रहमान ने अपनी मातृभाषा तमिऴ के अलावा हिंदी और कई अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है। टाइम्स पत्रिका ने उन्हें मोजार्ट ऑफ मद्रास की उपाधि दी।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

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