মোহনরাও পালেকার
Mohanrao Palekar (Devanagari: मोहनराव पालेकर, 1898–1962) was a noted Hindustani classical vocalist and is considered a stalwart of Jaipur-Atrauli Gharana, commonly referred as Jaipur Gharana.
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ডি ভি পলুস্কর
Pandit Dattatreya Vishnu Paluskar (28 May 1921 – 26 October 1955), was a Hindustani classical vocalist. He was considered a child prodigy.
Early life and background
D.V. Paluskar was born in Nasik, Maharashtra to well-known Hindustani musician Vishnu Digambar Paluskar.[His original surname was Gadgil, but as they hailed from the village Palus (near Sangli), they came to be known as the "Paluskar" family.
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আপনিও কি তৈরি করবেন টিভি এঙ্কার
जब भी हम टीवी एंकर्स के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग में जो नाम सबसे पहले आते हैं, उनमें शामिल हैं अमिताभ बच्चन, अर्चना पूरन सिंह, रक्षंदा खान, मंदिरा बेदी, शेखर सुमन, जावेद जाफरी, साजिद खान, सिमी ग्रेवाल, अमन वर्मा, मिनी माथुर, रागेश्वरी, रुबी भाटिया, तबस्सुम और इला अरुण. टीवी के इन तमाम एंकर्स की फेहरिस्त को गौर से देखें, तो एक बात सामने आती हैं कि टीवी एंकरिंग भी एक करियर के लिए एक अच्छा विकल्प है. मनोरंजन से भरपूर वर्तमान दौर में टेलीविजन रोजगार का बेहतर माध्यम बन गया है.
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শব্দ বিশেষ কো নাদ বলছেন
ध्वनि, झरनों की झरझर, पक्षियों का कूजन किसने नहीं सुना है। प्रकृति प्रदत्त जो नाद लहरी उत्पन्न होती है, वह अनहद नाद का स्वरूप है जो कि प्रकृति की स्वाभाविक प्रक्रिया है। लेकिन जो नाद स्वर लहरी, दो वस्तुओं के परस्पर घर्षण से अथवा टकराने से पैदा होती है उसे लौकिक नाद कहते हैं।
वातावरण पर अपने नाद को बिखेरने के लिये, बाह्य हवा पर कंठ के अँदर से उत्पन्न होने वाली वजनदार हवा जब परस्पर टकराती है, उसी समय कंठ स्थित 'स्वर तंतु' (Vocal Cords) नाद पैदा करते हैं। अत: मानव प्राणी द्वारा निर्मित आवाज लौकिक है।
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উঁচি শব্দ ভয়ঙ্কর হতে পারে
ऊँची आवाज़ में संगीत सुनने से केवल आपके कानों को ही नुक़सान नहीं होता बल्कि इसके कुछ और भी ख़तरे हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊँची आवाज़ में संगीत सुनने से फेफड़े भी बेकार हो सकते हैं.
श्वास प्रणाली की विशेष स्वास्थ्य पत्रिका थोरेक्स में के ताज़ा अंक में ऐसे चार मामलों के बारे में लिखा गया है जिनमें संगीत प्रेमियों को न्यूमोथोरैक्स नाम की एक बीमारी हुई है.
एक व्यक्ति कार चला रहा था जब उसे न्यूमोथोरैक्स का अनुभव हो हुआ. यह अनुभव था साँस लेने में तकलीफ़ और सीने में दर्द.
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।