चन्द्रकौन्स
राग मालकौन्स के कोमल निषाद की जगह जब निषाद शुद्ध का प्रयोग होता है तब राग चन्द्रकौन्स की उत्पत्ति होती है। इस राग में शुद्ध निषाद वातावरण पर प्रबल प्रभाव डालता है। और यहि इसे राग मालकौन्स से अलग करता है। जहाँ राग मालकौन्स एक गंभीर प्रकृति का राग है वहीँ राग चन्द्रकौन्स वातावरण पर व्यग्रता व तनाव युक्त प्रभाव डालता है। यह एक उत्तरांग प्रधान है। यह स्वर संगतियाँ राग चन्द्रकौन्स का रूप दर्शाती हैं -
,नि ,ध१ ,नि सा ; ग१ म ध१ नि सा' ; म ध१ म नि ; नि सा' ग' सा' नि सा' नि ; नि ध१ ; म ध१ नि ध१ म ; म ग१ म ; म ग१ सा ,नि ; सा ग१ म ग१ सा ; ,नि ,नि सा;.
राग जाति
गायन वादन समय
Tags
राग
- Log in to post comments
- 1925 views
Comments
संबंधित राग परिचय
चन्द्रकौन्स
राग मालकौन्स के कोमल निषाद की जगह जब निषाद शुद्ध का प्रयोग होता है तब राग चन्द्रकौन्स की उत्पत्ति होती है। इस राग में शुद्ध निषाद वातावरण पर प्रबल प्रभाव डालता है। और यहि इसे राग मालकौन्स से अलग करता है। जहाँ राग मालकौन्स एक गंभीर प्रकृति का राग है वहीँ राग चन्द्रकौन्स वातावरण पर व्यग्रता व तनाव युक्त प्रभाव डालता है। यह एक उत्तरांग प्रधान है। यह स्वर संगतियाँ राग चन्द्रकौन्स का रूप दर्शाती हैं -
,नि ,ध१ ,नि सा ; ग१ म ध१ नि सा' ; म ध१ म नि ; नि सा' ग' सा' नि सा' नि ; नि ध१ ; म ध१ नि ध१ म ; म ग१ म ; म ग१ सा ,नि ; सा ग१ म ग१ सा ; ,नि ,नि सा;.
राग जाति
गायन वादन समय
Tags
राग
- Log in to post comments
- 1925 views
Comments
राग चन्द्रकौंस का परिचय
राग चन्द्रकौंस का परिचय
वादी: म
संवादी: सा
थाट: BHAIRAVI
आरोह: साग॒मध॒निसां
अवरोह: सांनिध॒मग॒मग॒सा
पकड़: ग॒म ग॒सानिसा
रागांग: पूर्वांग
जाति: AUDAV-AUDAV
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: न्यास- ग॒ म नि। वर्जित-आरोह में रे प। मालकोश में नि शुद्ध लगाने से चन्द्रकोश होता है। इससे बचने के लिये शुद्ध नि का बारंबार प्रयोग होता है। तीनो सप्तक में विस्तार किया जाता है।
- Log in to post comments
राग चन्द्रकौंस का परिचय
राग चन्द्रकौंस का परिचय
वादी: म
संवादी: सा
थाट: BHAIRAVI
आरोह: साग॒मध॒निसां
अवरोह: सांनिध॒मग॒मग॒सा
पकड़: ग॒म ग॒सानिसा
रागांग: पूर्वांग
जाति: AUDAV-AUDAV
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: न्यास- ग॒ म नि। वर्जित-आरोह में रे प। मालकोश में नि शुद्ध लगाने से चन्द्रकोश होता है। इससे बचने के लिये शुद्ध नि का बारंबार प्रयोग होता है। तीनो सप्तक में विस्तार किया जाता है।