राग केदार (विलम्बित और द्रुत बंदिश) · पं। भीमसेन जोशी
Anand
Tue, 24/11/2020 - 16:44
विलंबित:
सोहे लरा री माई
अब बनरा बनी बन आये
कौन कौन गांव को अत धुमधाम
बनरा ब्याहन आय
द्रुत :
सावन की बूँदनियाँ
बरसत घनघोर
बिजली चमकत धमकत
दास मनवा अति लरजत
मोर करे शोर
गुनीजन
- Log in to post comments
- 622 views