Raga Bageshri ❤️ Hindustani Classical Music ❤️ Peace In Passion ❤️ B.Sivaramakrishna Rao
Raga Bageshri | Hindustani Classical Music | Peace In Passion | B.Sivaramakrishna Rao Bageshri (IAST: Bāgeshrī) is a Hindustani classical raga. It is a popular raga of the late-night, which is meant to depict the emotion of a woman waiting for reunion with her lover. It is said to have been first sung by Mian Tansen, the celebrated court singer of Emperor Akbar in the sixteenth century. Subscribe to our Indian Classical Music Channel: https://goo.gl/jka332 #raagbageshri #instrumental #hindustaniclassical #classicalinstrumental
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राग
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संबंधित राग परिचय
बागेश्री
राग बागेश्री हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत का एक राग है। यह राग काफी थाट से उत्पन्न हुआ है। गाने या बजाने का समय रात का दूसरा प्रहर माना जाता है।
राग बागेश्री रात्रि के रागों में भाव तथा रस का स्त्रोत बहाने वाला मधुर राग है। इस राग को बागेसरी, बागेश्वरी आदि नामों से भी पुकारा जाता है। राग की जाति के संबंध में अन्य मत भी प्रचलित हैं, कोई इसे औढव-संपूर्ण तो कोई इसे सम्पूर्ण-सम्पूर्ण मानते हैं। इस राग में रिषभ का प्रयोग अल्प है तथा उस पर अधिक ठहराव नहीं किया जाता। परंतु आरोह में रिषभ वर्ज्य करने से यथा ,नि१ सा म ग१ रे सा अथवा सा ग१ म ग१ रे सा, ये स्वर संगतियाँ राग भीमपलासी की प्रतीत होती हैं। अतः बागेश्री में रे ग१ म ग१ रे सा, इन स्वरों को लेना चाहिए। वैसे ही ,नि१ सा ग१ म इन स्वरों के स्थान पर सा रे ग१ म लेना अधिक उचित प्रतीत होता है।
इसके आरोह में पंचम स्वर वर्ज्य है तथा अवरोह में पंचम का प्रयोग वक्रता से करके इसको राग काफी से अलग किया जाता है। जैसे - सा' नि१ ध म प ध म ग१ रे सा। पंचम का प्रयोग भी अल्प ही है। आरोह में रिषभ और पंचम वर्ज्य करने पर राग श्रीरंजनी सामने आ जाता है। अतः इसकी जाति षाढव-संपूर्ण ही उचित प्रतीत होती है। राग का सौदर्य निखारने के लिये सा म; नि१ ध; ध म इन स्वर समूहों को मींड के साथ प्रयोग मे लाते हैं।
राग बागेश्री का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जाता है। यह एक गंभीर प्रकृति का राग है। यह स्वर संगतियाँ राग बागेश्री का रूप दर्शाती हैं -
सा रे सा ; ,नि१ ,नि१ सा ; ,नि१ ,ध ; ,म ,ध ,नि१ ,ध सा; ,ध ,नि१ सा म ; म ग१ ग१ रे सा; ,नि१ ,नि१ सा म ; म ग१; म ध नि१ ध म ; म प ध म ; म ग१ रे सा ; ग१ म ध सा' ध नि१ ध म ; ध सा' रे' सा' नि१ ध म ; म ग१ रे सा ; ग१ म ध नि१ ध नि१ सा' ; नि१ सा' नि१ नि१ रे'; सा' रे' सा' सा'; रे' सा' नि१ सा' ; ध नि१ ध सा' ; म ध ; ध नि१ ध म ; म प ध म ; म ग१ रे सा ,नि१ सा;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
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राग बागेश्री का परिचय
राग बागेश्री का परिचय
वादी: म
संवादी: सा
थाट: KAFI
आरोह: साऩि॒ध़ऩि॒सा मग॒ मधनि॒सां
अवरोह: सांनि॒ध मग॒ मग॒मरेसा
पकड़: ऩि॒ध़सा मधनि॒ध मग॒रेसा
रागांग: पूर्वांग
जाति: AUDAV-SAMPURN
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: न्यास-सा ग॒ म ध। आरोह में पंचम का अल्प प्रयोग होता है।