षाडव - सम्पूर्ण
झिंझोटी
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 01:28
राग झिंझोटी चंचल प्रकृति का राग है इसीलिए यह राग वाद्य यन्त्रों के लिये बहुत उपयुक्त है। इसमे श्रृंगार रस की अनुभूति होती है अतः इसमें भजन, ठुमरी, पद इत्यादि गाये जाते हैं। इस राग का विस्तार मंद्र और मध्य सप्तक में विशेष रूप से होता है।
आरोह में गंधार का उपयोग ,प ,ध सा रे ग म ग इस तरह से ही किया जाता है। परन्तु अवरोह में गंधार पर न्यास किया जाता है जैसे - सा' प ध म ग ; रे प म ग ; म ग ; म ग रे सा ; ,नि१ ,ध ,प ,ध सा;। इसका निकटस्थ राग खम्बावती है। यह स्वर संगतियाँ राग झिंझोटी का रूप दर्शाती हैं -
- Read more about झिंझोटी
- Log in to post comments
- 2565 views
कौशिक कान्हड़ा
Raagparichay
Sun, 13/09/2020 - 00:31
कौशिक कान्हड़ा
- Read more about कौशिक कान्हड़ा
- Log in to post comments
- 904 views