प्रदीप की परिभाषा
प्रदीपकी
Pooja
Tue, 20/04/2021 - 08:01
राग प्रदीपकी काफी थाट जन्य राग है। इसमें दोनों गंधार, कोमल निषाद और शेष स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं। आरोह में ऋषभ धैवत वर्ज्य तथा अवरोह में सातों स्वर प्रयोग किये जाते हैं। इसलिये इसकी जाति औडव-सम्पूर्ण है। गायन समय दिन का तीसरा प्रहर है।
आरोह– नि सा ग म प नि सां।
अवरोह– सां नि ध प म ग रे सा।
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