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देव गंधार

देव गंधार

इस राग का विस्तार राग जौनपुरी के समान होता है। राग गांधारी भी इसके पास का राग है परन्तु राग गांधारी में कोमल रिषभ लिया जाता है। जबकि देव गंधार में रिषभ शुद्ध है। जौनपुरी और गांधारी में आरोह में गंधार वर्ज्य है। परन्तु देव गंधार में आरोह में शुद्ध गंधार लिया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग देव गन्धार का रूप दर्शाती हैं -

राग के अन्य नाम

संबंधित राग परिचय

देव गंधार

इस राग का विस्तार राग जौनपुरी के समान होता है। राग गांधारी भी इसके पास का राग है परन्तु राग गांधारी में कोमल रिषभ लिया जाता है। जबकि देव गंधार में रिषभ शुद्ध है। जौनपुरी और गांधारी में आरोह में गंधार वर्ज्य है। परन्तु देव गंधार में आरोह में शुद्ध गंधार लिया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग देव गन्धार का रूप दर्शाती हैं -

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थाट

आरोह अवरोह
सा रे ग म प म ग१ रे ग म प ध१ नि१ सा' - सा' नि१ ध१ प म प ग१ रे ग म ग१ रे सा;
वादी स्वर
धैवत/गंधार
संवादी स्वर
धैवत/गंधार

राग के अन्य नाम

Comments

Pooja Tue, 20/04/2021 - 18:52

थाट आसावरी ध नि कोमल, दो गंधार विचार।
धग संवाद द्वितीय दिन,    गावत   देवगंधार ।।