गुर्जरी तोडी
गुर्जरी तोडी
राग तोडी में पंचम स्वर को वर्ज्य करने से एक अलग प्रभाव वाला राग गुर्जरी तोडी बनता है। इस राग को गुजरी तोडी भी कहते हैं। इस राग की प्रकृति गंभीर है। यह भक्ति तथा करुण रस से परिपूर्ण राग है।
राग तोड़ी की अपेक्षा इस राग में कोमल रिषभ को दीर्घ रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग गुर्जरी तोडी का रूप दर्शाती हैं -
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संबंधित राग परिचय
गुर्जरी तोडी
राग तोडी में पंचम स्वर को वर्ज्य करने से एक अलग प्रभाव वाला राग गुर्जरी तोडी बनता है। इस राग को गुजरी तोडी भी कहते हैं। इस राग की प्रकृति गंभीर है। यह भक्ति तथा करुण रस से परिपूर्ण राग है।
राग तोड़ी की अपेक्षा इस राग में कोमल रिषभ को दीर्घ रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग गुर्जरी तोडी का रूप दर्शाती हैं -
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थाट
राग जाति
गायन वादन समय
राग
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राग गुर्जरी तोड़ी का परिचय
राग गुर्जरी तोड़ी का परिचय
वादी: ध॒
संवादी: रे॒
थाट: TODI
आरोह: सारे॒ग॒म॓ध॒निसां
अवरोह: सांनिध॒ म॓ध॒म॓ग॒रे॒सा
पकड़: निध॒म॓ग॒ रे॒ग॒रे॒सा
रागांग: उत्तरांग
जाति: SHADAV-SHADAV
समय: दिन का द्वितीय प्रहर
विशेष: वर्जित- प। न्यास-सा,रे॒,ग॒,ध॒। विस्तार ती सप्तक में। प वर्जित होने से बहादुर तोड़ी की छाया से बचाव होता है।