Skip to main content

आन्ध्र प्रदेश

गुस्साड़ी नृत्य

गुस्साड़ी नृत्य आंध्र प्रदेश में गोंड जनजाति के लोगों द्वारा किया जाता है। आदिलाबाद जनपद में 'राजगौंड' जनजाति का विशिष्ठ स्थान हैं। इनके द्वारा मनाये जाने वाले उत्सवों में इनकी संस्कृति की स्पष्ट झलक मिलती है।

ढिम्सा नृत्य

ढिम्सा नृत्य आंध्र प्रदेश का पारम्परिक लोक नृत्य है। यह नृत्य प्रदेश के विशाखापट्नम ज़िले में प्रचलित है। ढिम्सा एक जनजातीय नृत्य है, जो विवाह के दिन एवं शिकार आदि के अवसरों पर होता है। पूर्णिमा के चार दिन पूर्व एवं इतने ही दिन बाद यह नृत्य किया जाता है। स्त्री और पुरुषों द्वारा किये जाने वाले इस नृत्य में नर्तकों का उल्लास देखते ही बनता है। गायन एवं ढोल वादन की थाप पर होने वाला यह नृत्य सामान्यत: रात्रि में होता है।

गोरवारा कुनिथा नृत्य

गोरवारा कुनिथा नृत्य कर्नाटक में प्रचलित एक धार्मिक नृत्य है, जिसे 'मयलरालिंगा' उत्सव पर किया जाता है। यह नृत्य अपनी चित्ताकर्षक लयात्मकता के लिए जाना जाता है। गोरारा कुनथा कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के कुरुबा गौड़ास का पारंपरिक नृत्य है। कुरुबा गौड़ास भगवान मेलारा लिंग के भक्त हैं, इस समुदाय से जुड़े लोग देवरे या गोरवा की परंपरा का पालन करने के लिए दीक्षा की प्रक्रिया लेते हैं। दीक आमतौर पर शादी से पहले किया जाता है उन्होंने भगवान मेलारा लिंग और लोक रूप गोरवा कुनथा के लिए अपने बाकी जीवन समर्पित कर दिया।

डप्पू नृत्य

डप्पू नृत्य आंध्र प्रदेश के तेलंगाना क्षेत्र का पारम्परिक नृत्य है। यह नृत्य दशहरा एवं विवाह आदि के विशेष अवसरों पर तथा मेलों में किया जाता है। कलाकार अलग-अलग घुनों पर पैरों की लयबद्ध पंक्तियों में डप्पू नृत्य प्रस्तुत करते हैं। तेलंगाना क्षेत्र का यह रिवाज है कि किसी भी शोभा-यात्रा या जुलूस में डप्पू नृत्य की प्रथमत: प्रस्तुति की जाती है।

वीरनाट्यम

वीरनाट्यम आन्ध्र प्रदेश के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। भगवान शिव से सम्बन्धित वेद-पुराण से ली गयी कहानियों पर आधारित यह नृत्य अत्यन्त प्रचलित लोक नृत्य है।

 

संबंधित राग परिचय