Bilaskhani Todi
यह राग, भैरवी थाट से उत्पन्न होता है। यह राग मियाँ तानसेन के पुत्र बिलास खान ने बनाया था और उनके ही नाम से प्रचलित है। इसके पास के राग भैरवी और कोमल रिषभ आसावरी हैं। इसका चलन तोडी के समान होने से इसमें गंधार तोडी के ही समान अति कोमल लगाना चाहिये। इस राग में पंचम न्यास स्वर है, परन्तु अवरोह में इसको छोड़ा जाता है, जैसे सा रे१ ग१ प ; प ध१ प ; प ध१ नि१ ध१ म ग१ रे१ ; रे१ ग१ रे१ सा।
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Bihagda
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Bihag
राग बिहाग अत्यंत ही प्रचलित और मधुर राग है। प म् ग म यह स्वर समुदाय राग वाचक है। आरोह में मध्यम से उठाव करते समय मध्यम तीव्र का प्रयोग होता है जैसे - म् प ; म् प ध ग म ग; म् प नि सा' नि ध प;। अवरोह में तीव्र मध्यम का प्रयोग मध्यम शुद्ध के साथ किया जाता है जैसे - म् ग म ग। यदि अवरोह सीधा लेना हो तो सिर्फ शुद्ध मध्यम का प्रयोग होगा जैसे सा' नि ध प म ग रे सा।
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Bhoopali
यह राग भूप के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह पूर्वांग प्रधान राग है। इसका विस्तार तथा चलन अधिकतर मध्य सप्तक के पूर्वांग व मन्द्र सप्तक में किया जाता है। यह चंद्र प्रकाश के समान शांत स्निग्ध वातावरण पैदा करने वाला मधुर राग है। जिसका प्रभाव वातावरण में बहुत ही जल्दी घुल जाता है। रात्रि के रागों में राग भूपाली सौम्य है। शांत रस प्रधान होने के कारण इसके गायन से वातावरण गंभीर व उदात्त बन जाता है। राग भूपाली कल्याण थाट का राग है।
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Bheempalasi
राग भीमपलासी दिन के रागों में अति मधुर और कर्णप्रिय राग है। इसके अवरोह में सातों स्वरों का प्रयोग किया जाता है। अवरोह में रिषभ और धैवत पर जोर दे कर ठहरा नहीं जाता। अवरोह में धैवत को पंचम का तथा रिषभ को षड्ज का कण लगाने से राग की विशेष शोभा आती है। षड्ज-मध्यम तथा पंचम-गंधार स्वरों को मींड के साथ विशेष रूप से लिया जाता है। वैसे ही निषाद लेते समय षड्ज का तथा गंधार लेते समय मध्यम का स्पर्श भी मींड के साथ लिया जाता है। इस राग में निषाद कोमल को ऊपर की श्रुति में गाया जाता है, जिसके लिये बहुत रियाज कि आवश्यकता होती है। यह पूर्वांग प्रधान राग है। इसका विस्तार तीनों सप्तकों में होता है।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।