Devshree

यह अपेक्षाकृत नया, मधुर और अप्रचलित राग है। इस राग में कोई वक्रता नही है। यह तीनों सप्तकों में उन्मुक्त रूप से गाया जा सकता है। राग मेघ मल्हार के स्वरों में यदि मध्यम शुद्ध की जगह मध्यम तीव्र का उपयोग किया जाए तो यह मिठास से भरपूर आकर्षक राग सामने आता है। यह स्वर संगतियाँ राग देवश्री का रूप दर्शाती हैं -

सा रे म् रे ; सा ,नि१ सा रे सा; रे म् प ; म् प नि१ प ; म् प नि१ म् प ; रे म् प ; म् प नि१ नि१ सा'; नि१ सा' रे' सा'; रे' नि१ सा' ; नि१ प म् प ; म् रे सा रे ; ,नि१ सा; ,प ,नि१ सा ;

Devgiri Bilawal

राग देवगिरि बिलावल, शुद्ध कल्याण और बिलावल का मिश्रण है और साथ ही इसमें कल्याण अंग भी झलकता है। इसमें तीव्र मध्यम का प्रयोग बिल्कुल नहीं किया जाता, नहीं तो यह राग यमनी बिलावल हो जायेगा। अवरोह में निषाद कोमल को इस तरह से लिया जाता है - सा' ध नि१ प अथवा सा' नि ध प ध नि१ ध प म ग रे ग रे सा;

शुद्ध कल्याण ग रे सा ,ध ,प ग में दिखाई देता है और कल्याण सा ,नि ,ध सा ; ,नि रे ग ; ग रे सा में झलकता है इस राग का विस्तार मन्द्र और मध्य सप्तक में अधिक किया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग देवगिरि बिलावल का रूप दर्शाती हैं -

राग के अन्य नाम

Dev Gandhar

Dev Gandhar
Thaat: Asavari
Jati: Audav-Sampooran (5/7)
Vadi: D
Samvadi: G
Vikrit: G,D,N komal
Virjit: R, D in Aroh
Aroh: S g m P n S*
Avroh: S* n d P m g R S
Time: Day Second Pehar


इस राग का विस्तार राग जौनपुरी के समान होता है। राग गांधारी भी इसके पास का राग है परन्तु राग गांधारी में कोमल रिषभ लिया जाता है। जबकि देव गंधार में रिषभ शुद्ध है। जौनपुरी और गांधारी में आरोह में गंधार वर्ज्य है। परन्तु देव गंधार में आरोह में शुद्ध गंधार लिया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग देव गन्धार का रूप दर्शाती हैं -

राग के अन्य नाम

Desi

Desi
Thaat: Asavari
Jati: Audav-Sampooran (5/7)
Vadi: P
Samvadi: R
Vikrit: G, D komal, both Nishads
Virjit: G,D / none
Aroh: S R m P N S*
Avroh: S* n d P m g R S
Time:Day Second Pehar


यह स्वर संगतियाँ राग देसी का रूप दर्शाती हैं -

रे म प ध ; म प ; रे ग१ ; सा रे ; ,नि१ सा

Deshkar

राग देशकार, राग भूपाली के निकट का राग है, इसलिये इसे गाते समय सावधानी बरतनी चाहिये। राग देशकार में शुद्ध धैवत बहुत प्रबल है। पंचम से आलाप का अन्त करना चाहिये।

यह स्वर संगतियाँ राग देशकार का रूप दर्शाती हैं - सा ग रे सा ; ,ध ,ध सा ; सा रे ग प ध ; ध ग प ; प ध सा' ; ध प ध ग प ; ग प ध प ग रे सा ; रे ,ध ,ध सा ; ग प ध ध ; प ध प ग प ध प ध ग प ध सा' सा' ; ध प ; प ध ग प ; ग प ध प ग रे सा ; रे ,ध सा ;

राग के अन्य नाम

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय