Raag
तिलंग बहार
राग तिलंग बहार, राग तिलंग और राग बहार का मिश्रण है। इन दोनों रागों के स्वर राग तिलंग बहार को मधुरता प्रदान करते हैं। यह स्वर संगतियाँ राग तिलंग बहार का रूप दर्शाती हैं -
ग म ; ग म प म ; ग म रे सा ; म ध नि सा' ; धनि सा' रे' सा' ; सा' ,नि१ प म ग ; मप म ; धनि सा' नि१प ग म रे सा ;
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तिलंग
भक्ति तथा श्रंगार रस की रसवर्षा करने वाली यह चित्त आकर्षक रागिनी है। राग तिलंग में हालांकि रिषभ स्वर वर्ज्य है परंतु विवादी स्वर के रूप में रिषभ का प्रयोग अवरोह में किया जाता है - यह प्रयोग अल्प ही होता है और रिषभ पर न्यास नही किया जाता। इस अल्प प्रयोग से राग और भी आकर्षक हो जाता है। राग की राग वाचक स्वर संगतियाँ हैं - ग म ग नि१ प।
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टंकी
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जोगकौंस
यह एक अपेक्षाकृत नया राग है जो पंडित जगन्नाथ बुआ पुरोहित 'गुणीदास' द्वारा बनाया गया है। यह राग जोग और राग चंद्रकौंस के मिश्रण से बना है।
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जोगेश्वरी
पंडित रवि शंकर जी द्वारा बनाया गया राग जोगेश्वरी, अत्यंत मधुर और सीधा राग है। यह राग, पूर्वांग में राग जोग (सा ग म ; ग म (सा)ग१ सा ; ग१ सा ,नि१ ; ,नि१ सा सा ग ; सा ग१ सा) और उत्तरांग में राग रागेश्री (ग म ध म ; म ध ग म ; ध नि१ सा' ; सा' नि१ ध ; नि१ ध म) का मिश्रण है।
यह एक मींड प्रधान, गंभीर वातावरण पैदा करने वाला राग है, जिसे तीनों सप्तकों में गाया बजाया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग जोगेश्वरी का रूप दर्शाती हैं -
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जौनपुरी
राग जौनपुरी दिन के रागों में अति मधुर व विशाल स्वर संयोजन वाला सर्वप्रिय राग है। रे रे म म प - यह स्वर अधिक प्रयोग में आते हैं और जौनपुरी का वातावरण एकदम सामने आता है। वैसे ही ध म प ग१ - इन स्वरों को मींड के साथ लिया जाता है। इस राग में धैवत तथा गंधार इन स्वरों को आंदोलित करके लेने से राग का माधुर्य और भी बढता है।
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झिंझोटी
राग झिंझोटी चंचल प्रकृति का राग है इसीलिए यह राग वाद्य यन्त्रों के लिये बहुत उपयुक्त है। इसमे श्रृंगार रस की अनुभूति होती है अतः इसमें भजन, ठुमरी, पद इत्यादि गाये जाते हैं। इस राग का विस्तार मंद्र और मध्य सप्तक में विशेष रूप से होता है।
आरोह में गंधार का उपयोग ,प ,ध सा रे ग म ग इस तरह से ही किया जाता है। परन्तु अवरोह में गंधार पर न्यास किया जाता है जैसे - सा' प ध म ग ; रे प म ग ; म ग ; म ग रे सा ; ,नि१ ,ध ,प ,ध सा;। इसका निकटस्थ राग खम्बावती है। यह स्वर संगतियाँ राग झिंझोटी का रूप दर्शाती हैं -
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जयतकल्याण
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जेजैवंती
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जेतश्री
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