Basant

राग बसंत, बसंत ऋतु में गाया जाने वाला राग है। इसे मध्य और तार सप्तक में अधिक गाया जाता है। इस राग में बसंत ऋतु के अलावा श्रृंगार रस और विरह रस कि बन्दिशें दिखाई देती हैं। शुद्ध मध्यम का प्रयोग कभी कभी ऐसे किया जाता है - सा म म ग

यह स्वर संगतियाँ राग बसंत का रूप दर्शाती हैं - सा ध१ प ; प ध१ प प म् ग म् ग ; म् नि ध१ म् ग म् ग रे१ सा ; सा म ; म ग ; म् ध१ रे१' सा' ; नि ध१ प ; 

Bairagi Todi

राग बैरागी तोडी को पंडित रवि शंकर जी ने प्रचलित किया है। गाने में कठिन लेकिन मधुर है। राग बैरागी के मध्यम की जगह कोमल गंधार लेने से राग बैरागी तोड़ी अस्तित्व में आता है। यह राग तोड़ी थाट के अंतर्गत आता है। इसका चलन राग तोडी के समान है इसलिये इसमें गंधार अति कोमल लिया जाता है। इस राग की प्रकृति गंभीर है और इसका विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग बैरागी तोडी का रूप दर्शाती हैं -

Bairagi

राग बैरागी को पंडित रवि शंकर जी ने प्रचलित किया है। यह बहुत ही कर्णप्रिय राग है और भक्ति रस से परिपूर्ण है। इस राग में किसी भी तरह का बन्धन नही है, इसलिये यह तीनों सप्तकों में उन्मुक्त रूप से गाया जा सकता है। यह राग भैरव थाट के अंतर्गत आता है। यह स्वर संगतियाँ राग बैरागी का रूप दर्शाती हैं -

,नि१ सा रे१ म प नि१ ; म नि१ प ; नि१ प म प म रे१ ; ,नि१ सा ; रे१ म प नि१ प ; म प नि१ नि१ सा' ; नि१ प नि१ सा' रे१' सा' ; रे१' सा' नि१ रे१' सा' नि१ प म ; प म रे१ सा ; ,नि१ सा रे१ सा ;

Bageshree

राग बागेश्री रात्रि के रागों में भाव तथा रस का स्त्रोत बहाने वाला मधुर राग है। इस राग को बागेसरी, बागेश्वरी आदि नामों से भी पुकारा जाता है। राग की जाति के संबंध में अन्य मत भी प्रचलित हैं, कोई इसे औढव-संपूर्ण तो कोई इसे सम्पूर्ण-सम्पूर्ण मानते हैं। इस राग में रिषभ का प्रयोग अल्प है तथा उस पर अधिक ठहराव नहीं किया जाता। परंतु आरोह में रिषभ वर्ज्य करने से यथा ,नि१ सा म ग१ रे सा अथवा सा ग१ म ग१ रे सा, ये स्वर संगतियाँ राग भीमपलासी की प्रतीत होती हैं। अतः बागेश्री में रे ग१ म ग१ रे सा, इन स्वरों को लेना चाहिए। वैसे ही ,नि१ सा ग१ म

राग के अन्य नाम

Bahar

राग बहार, वसंत व शरद ऋत में गाया जाने वाला अत्यंत मीठा राग है। खटके और मुरकियों से महफिल में रंगत जमती है। राग बहार का मध्यम स्वर उसका प्राण स्वर है। अवरोह में मध्यम पर बार बार न्यास किया जाता है। राग बहार का निकटतम राग है राग शहाना-कान्हडा, जिसमें पंचम स्वर पर न्यास किया जाता है। इस राग के मिश्रण से बनाये गये कई राग प्रचिलित हैं यथा - बसंत-बहार, भैरव-बहार, मालकौन्स-बहार, अडाना-बहार इत्यादी।

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय