घूमर नृत्य
"घूमर रे घूमर रे" घूमर राजस्थान का एक परंपरागत लोकनृत्य है। इसका विकास भील कबीले ने किया था और बाद में बाकी राजस्थानी बिरादरियों ने इसे अपना लिया। यह नाच ज्यादातर औरतें घूंघट लगाकर और एक घुमेरदार पोशाक जिसे "घाघरा" कहते हैं, पहन कर करती हैं। घूमर आम तौर पर ख़ास मौकों, जैसे विवाह, होली, त्योहारों और धार्मिक आयोजनों में किया जाता है। घूमर के गाने राजसी और शाही किंवदंतियों या उनकी परम्पराओं पर केंद्रित हो सकते हैं।
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सुआ नृत्य
सुआ नृत्य छत्तीसगढ़ राज्य की स्त्रियों का एक प्रमुख है, जो कि समूह में किया जाता है। स्त्री मन की भावना, उनके सुख-दुख की अभिव्यक्ति और उनके अंगों का लावण्य ‘सुवा नृत्य’ या ‘सुवना’ में देखने को मिलता है। ‘सुआ नृत्य’ का आरंभ दीपावली के दिन से ही हो जाता है। इसके बाद यह नृत्य अगहन मास तक चलता है।
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विदेशिया नृत्य
यह उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्यों के भोजपुरी भाषी क्षेत्र का एक प्रमुख एवं ग्रामीण जनता में सर्वाधिक प्रचलित लोक-नृत्य है। विदेशिया अथवा बिदेशिया नृत्य भारत में प्रचलित कुछ प्रमुख लोक नृत्य शैलियों में से एक नृत्य है।
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राई नृत्य
राई नृत्य बुंदेलखंड के प्रसिद्ध नृत्यों में से एक है। यह नृत्य गुजरात के प्रसिद्ध गरबा नृत्य के समान ही प्रसिद्ध है। राई नृत्य बारहों महीनेनाचा जाता है। बुंदेलखंडी जनमानस का हर्ष और उल्लास इस लोक नृत्य में अभिव्यक्त होता है। राई नृत्य में बेड़नियाँ नाचती हैं और बेड़नी के अभाव में स्त्री-वेशधारी पुरुष नाचते हैं।
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डांग नृत्य
डांग नृत्य स्त्री तथा पुरुषों का एक युगल नृत्य है, जो राजस्थान के अंचलों में किया जाता है। यह नृत्य हिन्दुओं के प्रसिद्ध त्योहार 'होली' पर किया जाता है। यह राजस्थान के नाथद्वारा क्षेत्र में विशेष रूप से किया जाने वाला नृत्य है।
इस नृत्य में स्त्री-पुरुष समान रूप से भाग लेते हैं।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।