शैला नृत्य
शैला, मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में आदिवासियों के मध्य एक लोकप्रिय नृत्य है। इस नृत्य में पूरे गांव के युवक सम्मिलित हो सकते हैं। इसकी तैयारी भी 'करमा' की तरह एक माह पूर्व से ही आरम्भ जाती है। युवक आदिवासी पोषक में मोरपंख कमर में बांध कर वृत्त या अर्धवृत्त बनाकर नाचते हैं। हर युवक के हाथ में दो-दो फुट का डंडा होता है जिसे लेकर वे नाचते हुए ही आगे -पीछे होते रहते हैं। घुँघरू बांधकर मादल लेकर बजाते हुए बीच-बीच में 'कू-कू ' या 'हूं-हूं' की आवाज़ करते हैं जिसे 'छेरवा' कहा जाता है। होली, दीपावली, दशहरा, अनंत चतुर्दशी, शिवरात्रि के अवसर पर यह नृत्य किया जाता है।
- Read more about शैला नृत्य
- Log in to post comments
- 41 views
सरहुल नृत्य
सरहुल नृत्य छत्तीसगढ़ राज्य में सरगुजा, जशपुर और धरमजयगढ़ तहसील में बसने वाली उरांव जाति का जातीय नृत्य है। इस नृत्य का आयोजन चैत्र मास की पूर्णिमा को रात के समय किया जाता है। यह नृत्य एक प्रकार से प्रकृति की पूजा का आदिम स्वरूप है।
नृत्य का आयोजन
- Read more about सरहुल नृत्य
- Log in to post comments
- 357 views
सैरा नृत्य
सैरा नृत्य बुंदेलखण्ड के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। 'सैरा' नामक लोक गीतों के साथ नाचे जाने के कारण ही इसका नाम ’सैरा नृत्य’ पड़ा है। इस नृत्य में सैरा गाने वालों के दल अपने हाथों में लकड़ी के छोटे-छोटे डंडे, जो इसी नृत्य के लिये बनाये जाते हैं, लेकर गोलाकार खड़े हो जाते हैं।
- Read more about सैरा नृत्य
- Log in to post comments
- 174 views
सैला कर्मा नृत्य
'करमा' आदिवासियों का विश्वप्रसिद्ध नृत्य है। आदिवासी जहाँ भी है करमा नृत्य अवश्य करते हैं। खरीफ की फसल बो दिए जाने के बाद अनंत चतुर्दशी और फिर रबी की फसल करने के साथ होली के अवसर पर यह नृत्य स्त्री -पुरुष, बाल - वृद्ध सभी एक साथ समूह में करते हैं। उनका यह अनुष्ठान लगभग एक माह पूर्व से ही प्रारम्भ हो जाता है। 'जयी' जमाई जाती है। करम वृक्ष की डाल युवा अथवा गांव का बैगा द्वारा एक ही बार में काट कर लाई जाती है। गांव अथवा गांवों के सभी आदिवासी उसे जमीन पर धरे बिना नाचते गाते किसी सार्वजानिक स्थल पर लाते हैं, उसे वहीँ रोपते हैं। प्रसाद चढ़ाते और फिर नाचना शुरू करते हैं, तो वह सिलसिला चौबीस घंटे च
- Read more about सैला कर्मा नृत्य
- Log in to post comments
- 62 views
राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।