राग
क्या हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में भगवान शंकर को समर्पित भी है कोई राग?
साल 1978 की बात है. मशहूर अभिनेता देव आनंद एक फिल्म बना रहे थे- देस परदेस. इस फिल्म के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर भी वही थे. इस फिल्म को सिनेमा फैंस कई वजहों से याद करते हैं. एक तो बतौर अभिनेत्री टीना मुनीम की ये पहली फिल्म थी. दूसरे इस फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट में अजीत, प्राण, अमजद खान, श्रीराम लागू, टॉम ऑल्टर, बिंदू, प्रेम चोपड़ा, एके हंगल, सुजीत कुमार, महमूद और पेंटल जैसे उस दौर के जाने-माने चेहरे शामिल थे. इसके अलावा इस फिल्म के लिए देव आनंद ने बतौर संगीतकार राजेश रोशन को चुना था.
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क्या ख्याल हैं आपका?
ख्याल अरबी भाषा का शब्द जिसका अर्थ हैं विचार या कल्पना. आज मेरे मन में विचार आया कि आपको अपना ख्याल बताया जाए .सुंदर,सांगीतिक,स्वरबध्द ख्याल.
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भारतीय संगीत में वाद्यों का महत्व
संगीत में वाद्यों का विशेष महत्त्व है। इसके बिना गायन , वादन , नर्तन का सौन्दर्य अधखिली कली के सदृश्य होता हे। गायन , वादन , नृत्य , वाद्यों की संगति पाकर पूर्ण विकसित सुमन की भांति खिल उठते हैं। केवल गायन , वादन तथा नृत्य में ही नहीं बल्कि नाटकों में भी वाद्यों का विशेष महत्त्व होता है। गायन की भांति वादन भी नाट्य क्षेत्र में आवश्यक है। भरत मुनि ने कहा है।
‘‘ वाद्येशु यत्नः प्रथमं कार्यः वदन्ति शैया चं नाट्यम वदन्ति वाद्यम्।
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সাত স্বর, অলংকার এবং হারমোনিয়ম
भारतीय संगीत आधारित है स्वरों और ताल के अनुशासित प्रयोग पर। सात स्वरों के समुह को सप्तक कहा जाता है। भारतीय संगीत सप्तक के सात स्वर हैं-
सा(षडज), रे(ऋषभ), ग(गंधार), म(मध्यम), प(पंचम), ध(धैवत), नि(निषाद)
अर्थात
सा, रे, ग, म, प ध, नि
सा और प को अचल स्वर माना जाता है। जबकि अन्य स्वरों के और भी रूप हो सकते हैं। जैसे 'रे' को 'कोमल रे' के रूप में गाया जा सकता है जो कि शुद्ध रे से अलग है। इसी तरह 'ग', 'ध' और 'नि' के भी कोमल रूप होते हैं। इसी तरह 'शुद्ध म' को 'तीव्र म' के रूप में अलग तरीके से गाया जाता है।
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Ustad Imrit Khan & Ustad Ghulam Mustafa Khan | Raga - Jhinjhoti
Feel the resonance of evening ragas... Imrat Khan (17 November 1935 – 22 November 2018) was an Indian sitar and surbahar player and composer. He was the younger brother of sitar maestro Ustad Vilayat Khan. Ustad Ghulam Mustafa Khan is an Indian classical musician in the Hindustani classical music tradition, belonging to the Rampur-Sahaswan Gharana.
Girija Devi & Pt. Birju Maharaj | Indian Classical Vocal
Feel the resonance of evening ragas....Girija Devi was an Indian classical singer of the Seniya and Banaras gharanas. She performed classical and light classical music and helped elevate the profile of thumri. Brijmohan Mishra, popularly known as Pandit Birju Maharaj, is an exponent of the Handia, Allahabad Kalka-Bindadin gharana of Kathak dance in India.
Asha Khadilkar | Indian Classical Vocalist
Feel the resonance of evening ragas....Asha Khadilkar is a Mumbai, India-based Senior Vocalist who performs Indian classical, semi-classical and devotional music including Natya Sangeet.
1989 : Pandit Hariprasad Chaurasia | Flute | Raag Jhinjhoti
Pandit Hariprasad Chaurasia Flute recital Raag Jhinjhoti 1989 - Akashvani Sangeet Sammelan presents Pandit Hariprasad Chaurasia, an classical musician and flutist. #PanditHariprasadChaurasia #1989 #ClassicalMusic #Flute #RaagJhinjhoti
Dr. M. Balamuralikrishna | Raag - Bhairavi | Tal - Adi
Feel the resonance of evening ragas....One of the most famous names associated with Classical Carnatic Music is that of Dr. Mangalampalli Balamuralikrishna. This legendary musician was also an able composer, playback singer, poet, actor and multi-instrumentalist. Apart from working with famous Indian musicians like Pandit Bhimsen Joshi, Pandit Hariprasad Chaurasia and Kishori Amonkar, he also worked with several foreign musicians.
Pt. Bhajan Sopori | Santoor Recital
Feel the resonance of evening ragas....Bhajan Sopori is an Indian instrumentalist. He is a player of the santoor, an ancient stringed musical instrument.