राग मेघ मल्हार
मेघ मल्हार
राग मेघ मल्हार बहुत ही मधुर और गंभीर वातावरण पैदा करने वाला राग है। इस राग के सभी स्वर राग मधुमाद सारंग के ही सामान हैं। परन्तु राग मधुमाद सारंग में सारंग अंग प्रभावी होता है जैसे - सा रे म रे ; म प नि१ प म रे, जिसमें वादी स्वर रिषभ है और मध्यम-रिषभ की संगती में मींड का उपयोग नहीं किया जाता। जबकि राग मेघ मल्हार में रिषभ हमेशा मध्यम का कण स्वर लेते हुए लगते हैं।
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मियाँ की मल्लार
वादी: म
संवादी: सा
थाट: KAFI
आरोह: रेमरेसा मरेप नि॒धनिसां
अवरोह: सांनि॒प मपग॒मरेसा
पकड़: रेम रेसा ऩि॒प़म़प़ऩि॒ध़ऩिसा पग॒मरेसा
रागांग: उत्तरांग
जाति: SAMPURN-SHADAV
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: उभय निषाद, वर्षा ऋतु में
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गौड मल्हार
यह बहुत ही मधुर, चित्ताकर्षक और प्रभावशाली राग है परन्तु गाने में कठिन है। यह राग बहुत प्रचलन में है। इस राग को राग गौड के नाम से भी जाना जाता हैं। इस राग में गौड़ अंग, शुद्ध मल्हार अंग और बिलावल अंग का मिश्रण दिखाई देता है।
राग के अन्य नाम
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