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छाऊ लोक नृत्य किस राज्य से संबंधित है

सत्रिया नृत्य

15वीं शताब्‍दी ईस्‍वी में असम के महान वैष्‍णव संत और सुधारक श्रीमंत शंकरदेव द्वारा सत्रिया नृत्‍य को वैष्‍णव धर्म के प्रचार हेतु एक शक्तिशाली माध्‍यम के रूप में परिचित कराया गया । बाद में यह नृत्‍य शैली एक विशिष्‍ट नृत्‍य शैली के रूप में विकसित व विस्‍तारित हुई । यह असमी नृत्‍य और नाटक का नया खजाना, शताब्दियों तक सत्रों द्वारा एक बड़ी प्रतिज्ञा के साथ विकसित और संरक्षित किया गया है । ( अर्थात् वैष्‍णव मठ या विहार) इस नृत्‍य शैली को अपने धार्मिक विचार और सत्रों के साथ जुड़ाव के कारण उपयुक्‍त ढंग से सत्रिया नाम दिया गया  ।

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