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थुलाल नृत्य
थुलाल नृत्य केरल के प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। यह एकल नृत्य है, जिसके तीन प्रकार हैं। इस नृत्य के उद्भव का श्रेय केरल के प्रसिद्ध कवियों में से एक 'कंचन नांबियार' को दिया जाता है। हालांकि 'नाट्यशास्त्र' के शास्त्रीय सिद्धांतों पर आधारित इस कला की तकनीक कठोर नहीं है। नृत्य के गीत सरल व सरस मलयालम भाषा में लिखे होते हैं। इन मुखर गीतों में हास्य का पुट होता है। प्रस्तुती भी सरल होती है और थुलाल में जीवन के हर दिन से सीधा संबंध इसे लोकप्रिय बनाता है। थुलाल में उपयोग होने वाले वाद्य यंत्र 'मद्दलम' और 'झांझ' हैं। झांझ बजाने वाले की धुन कलाकार नर्तकी (थुलाकरन) को गाने में सहायता करती है।
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