Raag Bhupali ❤️ Brief description of Raag Bhupali
Hello friends, We are starting a new segment called 'Basic knowledge of raagas' for those who crave to understand raagas and various terms used in Indian classical music. The series of videos in this segment will give you a brief idea about various raagas in Hindustani Classical music. Love, SiNGER SANCHiTA * You are welcome to contribute for the growth of your favourite Youtube channel. Press on the LINK given below and choose your own method of payment! https://rzp.io/l/SanchitaPandey E-mail: [email protected] 'Being in Peace' by Sanchita Pandey: https://www.amazon.in/Being-Peace-Sanchita-Pandey/dp/1537103989 'Enrich your Life' by Sanchita Pandey https://www.amazon.in/Enrich-Your-Life-Sanchita-Pandey-ebook/dp/B077BCS… Raag Bhairavi https://youtu.be/sVl3PeJ1h9w Raag Vrindavani Sarang https://youtu.be/E1I-qGPPHxs Exercise for deeper breath while singing https://youtu.be/It3-bOmRpRg Raag durga https://youtu.be/ZNsD1SJFIdQ Raag Yaman https://youtu.be/-RlEYSpPTiY Raag Bhairav https://youtu.be/IGMr0dUbBOk Thaat and raag (and difference between them) https://youtu.be/MaJQf7UTdmg Raag Des https://youtu.be/5svzN6Znzi8 #RaagBhupali #Raag #BhupaliFilmSongs
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राग
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संबंधित राग परिचय
भूपाली
यह राग भूप के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह पूर्वांग प्रधान राग है। इसका विस्तार तथा चलन अधिकतर मध्य सप्तक के पूर्वांग व मन्द्र सप्तक में किया जाता है। यह चंद्र प्रकाश के समान शांत स्निग्ध वातावरण पैदा करने वाला मधुर राग है। जिसका प्रभाव वातावरण में बहुत ही जल्दी घुल जाता है। रात्रि के रागों में राग भूपाली सौम्य है। शांत रस प्रधान होने के कारण इसके गायन से वातावरण गंभीर व उदात्त बन जाता है। राग भूपाली कल्याण थाट का राग है।
इस राग को गाते समय स्वरों पर न्यास का विशेष ध्यान देना चाहिए। यदि प ध प ; प ध ग प इस तरह से धैवत पर अधिक जोर दिया गया तो राग का स्वरूप बदल जाता है और यह राग देशकार हो जाता है। इसी तरह षडज से धैवत और पंचम से गंधार मींड में लेते समय यदि क्रमशः निषाद और मध्यम स्वरों का स्पर्श होने या कण लगने से भी भूपाली का स्वरूप बदल जाता है और यह राग शुद्ध कल्याण दिखने लगता है। अतः भूपाली को इन रागों से बचाते हुए गाना चाहिए। राग भूपाली में गंधार-धैवत संगती का एक विशेष महत्त्व है और रिषभ न्यास का स्वर है।
इसे कर्नाटक संगीत में राग मोहन कहा जाता है। यह एक पूर्वांग प्रधान राग है और इसे मध्य और मन्द्र सप्तकों में गाया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग भूपाली का रूप दर्शाती हैं -
सा ; सा ,ध सा रे ग ; रे ग सा रे ,ध सा ; सा रे ग प ; प ग रे ग ; रे प ग ; ग सा रे ; रे ,ध सा ; ग रे ग ; प ग ; प ध प प ; ध प ; ग प रे ग रे सा ,ध सा ; सा रे ग रे ग प ध सा' ; प ध प सा' ; सा' सा' ; रे' सा' ध सा' ; ध सा' रे' ग' रे' सा' ; ध सा' ध प ग रे ग ; प रे ग रे सा ; रे ,ध सा ;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
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राग
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मोहनम
Mohanam is a rāga in Carnatic music (musical scale of South Indian classical music). It is an audava rāga (or owdava rāga, meaning pentatonic scale). It is usually described as a janya rāga of Harikamboji (28th Melakartha Raga). However, alternate opinions suggest that Mechakalyani may be a more appropriate classification based on the lakshana of the raga.
The equivalent of Mohanam in Hindustani music is Bhoop (or Bhopali).
आरोहणम् | स रि२ ग३ प ध२ स |
---|---|
अवरोहणम् | स ध२ प ग३ रि२ स |
जीवस्वराः | ग, ध, रि |
न्यासस्वराः | स, ग, ध, रि |
रसः | करुणा, भक्तिः |
समयः | सायंकाल: |
जनकरागः | हरिकाम्बोधि |
प्रसिद्धकीर्तनानि | कपालि, नन्नुपालिम्प, परिपाहिमाम् नृहरे, |
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राग भूपाली का परिचय
राग भूपाली का परिचय
वादी: ग
संवादी: ध
थाट: KALYAN
आरोह: सारेगपधसां
अवरोह: सांधपगरेसा
पकड़: गरेसाध़सारेगपगधपगरेगप़ध़सारेग
रागांग: पूर्वांग
जाति: AUDAV-AUDAV
समय: रात्रि का प्रथम प्रहर
हम तुमसे न कुछ कह पाये - जिद्दी
ज्योति कलश छलके - भाभी की चुड़ियाँ
कांची रे कांची रे - हरे रामा हरे कृष्णा
पंछी बनूं उड़ती फिरूं - चोरी चोरी
पंख होती तो उड़ आती रे - सेहरा