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खयाल अथवा ख्याल
ख्याल फारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है कल्पना। ख्याल के २ भेद हैं। पहिला है बड़ा ख्याल और दूसरा छोटा ख्याल। बड़ा ख्याल, विलम्बित लय में ध्रुवपद की गंभीरता के साथ गाया जाता है और कल्पना के आधार पर विस्तारित किया जाता है। इसे गाते समय आठों अंगों का व्यवहार समुचित किया जाता है। बड़े ख्याल में प्रयुक्त होने वाले ताल हैं एकताल, तिलवाड़ा, झूमरा, रूपक, झपताल, आड़ा-चौताल, आदिताल आदि।
खयाल (ख्याल)
- 'खयाल' (ख्याल) शब्द फारसी भाषा से लिया गया है, इसका अर्थ होता है 'विचार या कल्पना'। इस शैली के उद्भव का श्रेय अमीर खुसरो को दिया जाता है। संगीत का यह रूप कलाकारों के बीच काफी लोकप्रिय है। खयाल (ख्याल) दो से लेकर आठ पंक्तियों वाले लघु गीतों के रंग पटल पर आधारित है। सामान्य तौर पर खयाल (ख्याल) रचना को 'बंदिश' के रूप में भी जाना जाता है।
- 15वीं सदी में सुल्तान मोहम्मद शर्की खयाल (ख्याल) के सबसे बड़े संरक्षक हुए। खयाल (ख्याल) की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि इसमें तान का उपयोग किया जाता है। इसी कारण है कि ध्रुपद की तुलना में खयाल संगीत में आलाप को कम महत्त्व दिया जाता है। खयाल में दो प्रकार के गीतों का उपयोग किया जाता है।
- बड़ा खयाल: धीमी गति में गाया जाने वाला
- छोटा खयालः तेज़ गति में गाया जाने वाला
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