সাত স্বর, অলংকার এবং হারমোনিয়ম
भारतीय संगीत आधारित है स्वरों और ताल के अनुशासित प्रयोग पर। सात स्वरों के समुह को सप्तक कहा जाता है। भारतीय संगीत सप्तक के सात स्वर हैं-
सा(षडज), रे(ऋषभ), ग(गंधार), म(मध्यम), प(पंचम), ध(धैवत), नि(निषाद)
अर्थात
सा, रे, ग, म, प ध, नि
सा और प को अचल स्वर माना जाता है। जबकि अन्य स्वरों के और भी रूप हो सकते हैं। जैसे 'रे' को 'कोमल रे' के रूप में गाया जा सकता है जो कि शुद्ध रे से अलग है। इसी तरह 'ग', 'ध' और 'नि' के भी कोमल रूप होते हैं। इसी तरह 'शुद्ध म' को 'तीव्र म' के रूप में अलग तरीके से गाया जाता है।
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सचिनदेव बर्मन : ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना
हरदिल अजीज संगीतकार सचिनदेव बर्मन का मधुर संगीत आज भी श्रोताओं को भाव-विभोर करता है। उनके जाने के बाद भी संगीतप्रेमियों के दिल से एक ही आवाज निकलती है- 'ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना...।'
सचिनदेव बर्मन का जन्म एक अक्टूबर 1906 में त्रिपुरा के शाही परिवार में हुआ। उनके पिता जाने-माने सितारवादक और ध्रुपद गायक थे। बचपन के दिनों से ही सचिनदेव बर्मन का रुझान संगीत की ओर था और वे अपने पिता से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा लिया करते थे। इसके साथ ही उन्होंने उस्ताद बादल खान और भीष्मदेव चट्टोपाध्याय से भी शास्त्रीय संगीत की तालीम ली।
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9 वर्ष की उम्र में पहला गाना कम्पोज कर लिया था आरडी बर्मन ने
1) 27 जून 1939 को कोलकाता में जन्मे राहुल देव बर्मन के पिता सचिन देव बर्मन की गिनती बॉलीवुड के महान संगीतकारों में होती है। राहुल ने अपने पिता की परम्परा को आगे बढ़ाया।
2) आरडी को पंचम नाम से फिल्म जगत में पुकारा जाता था। पंचम नाम के पीछे मजेदार किस्सा है। आरडी बचपन में जब भी गुनगुनाते थे, प शब्द का ही उपयोग करते थे। यह बात अभिनेता अशोक कुमार के ध्यान में आई। सा रे गा मा पा में ‘प’ का स्थान पाँचवाँ है। इसलिए उन्होंने राहुल देव को पंचम नाम से पुकारना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनका यही नाम लोकप्रिय हो गया।
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संगीत के सुरों से होगा इलाज
दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों की भागदौड़ भरी जिन्दगी में उच्च रक्तचाप, अवसाद, तनाव और हृदयरोग के बढ़ते मामलों का अनूठा इलाज 'संगीत' में छिपा है और यह दावा करने वाला एक कलाकार संगीत से चिकित्सा के इन्हीं रहस्यों से परदा उठाने की कोशिश कर रहा है ।
युवा तबला वादक मुस्तफा हुसैन ने बताया, 'पूरी मनुष्य प्रजाति एक-दो-तीन-चार के ताल में चल रही है। यही मूलभूत लय है, जिस पर पूरी सृष्टि आधारित है।' उन्होंने कहा, 'संगीत सुकून तो पैदा ही करता है, इसमें तनाव, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, डिप्रेशन सहित कई बीमारियों को दूर करने की अचूक शक्ति है बशर्ते इसे सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए।
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लता मंगेशकर : संपूर्ण जीवन परिचय
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) भारत की सबसे प्रतिष्ठित पार्श्वगायिका हैं जिन्होंने कई फिल्मी और गैरफिल्मी यादगार गीत गाए हैं। दुनिया भर में उनके करोड़ों प्रशंसक हैं जो लता को मां सरस्वती का अवतार मानते हैं। लता ने हजार से ज्यादा हिंदी फिल्मों में गीत गाए हैं। मुख्यत: उन्होंने हिंदी, मराठी और बंगाली में गाने गाए हैं। वे 36 से ज्यादा भाषाओं में गीत गा चुकी हैं जो अपने आप में एक कीर्तिमान है।
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राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।