Parameshwari

यह राग पंडित रवि शंकर जी द्वारा रचित है। यह राग बहुत ही मधुर है लेकिन अप्रचलित है। इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है।

यह स्वर संगतियाँ राग परमेश्वरी का रूप दर्शाती हैं - सा रे१ ग१ म ; ग१ म ध म ; म ध नि१ सा' ; ध नि१ रे१' सा' ; सा' नि१ ध म ; म ग१ रे१; ग१ रे१ ,नि१ ,ध ; ,ध ,नि१ रे१ सा ;

Patdeep

 राग भीमपलासी में शुद्ध निषाद का प्रयोग करने पर राग पटदीप सामने आता है। राग भीमपलासी में वादी स्वर मध्यम है जबकि राग पटदीप का वादी स्वर पंचम है।

राग के अन्य नाम

राग परिचय

हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत

हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।

राग परिचय