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चरकुला नृत्य
जनपद की इस नृत्य कला ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धूम मचायी है पूर्व में होली या उसके दूसरे दिन रात्रि के समय गांवों में स्त्री या पुरुष स्त्री वेश धारण कर सिर पर मिट्टी के सात घड़े तथा उसके ऊपर जलता हुआ दीपक रखकर अनवरत रूप से चरकुला नृत्य करता था। गांव के सभी पुरुष नगाड़ों, ढप, ढोल, वादन के साथ रसिया गायन करते थे।
💃🌻चरकुला नृत्य, 🌻💃
- 💃जनपद की इस नृत्य कला ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर धूम मचायी है पूर्व में होली या उसके दूसरे दिन रात्रि के समय गांवों में स्त्री या पुरुष स्त्री वेश धारण कर सिर पर मिट्टी के सात घड़े तथा उसके ऊपर जलता हुआ दीपक रखकर अनवरत रूप से चरकुला नृत्य करता था ।
- 💃गांव के सभी पुरुष नगाड़ों, ढप, ढोल, वादन के साथ रसिया गायन करते थे ।
- 💃वर्तमान में 38 गोल पंखड़ियों के आकार वाली चिड़ियों के आकार के लकड़ी से बने लगभग 20 किलो वज़न के चौखटा के मिट्टी या धातु बर्तन के ऊपर रखकर और पंखड़ियों पर 38 जलते दीपक के साथ आकर्षक मुद्रा में यह नृत्य किया जाता है ।
- 💃नृत्य के दौरान सभी दीपक जलते रहते हैं ।
- 💃जनपद के उमरी, रामपुर और मुखराई गांव का चरकुला नृत्य प्रसिद्धि पा चुका है ।
- 💃यहाँ की महिला कलाकारों ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मंचन किये हैं ।
- 💃उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक कार्य विभाग, संगीत नाटक अकादमी तथा सूचना विभाग की ओर से प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर आयोजित कार्यक्रमों के लिए चरकुला नृत्य के कलाकारों को आमन्त्रित किया गया है ।
- 💃कला मनीषियों के परिचित हो जाने से वर्तमान में चरकुला नृत्य काफ़ी प्रसिद्ध है ।
- 💃इस नृत्य के कलाकारों को मॉरीशस, नेपाल और इसके बाद जर्मनी में आयोजित भारत महोत्सव के दौरान भाग लेने का भी अवसर प्राप्त हुआ है ।
- 💃जर्मनी के साथ कलाकारों ने सोवियत संघ सहित तीन अन्य देशों की भी यात्रा की ।
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प्रदेश
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