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Pt. Channu Lal Mishra | Raga - Mishra Khamaj

Feel the resonance of evening ragas..... Pandit Chhannulal Mishra is a celebrated Hindustani classical singer from Banaras, a noted exponent of the Kirana gharana of the Hindustani classical music and especially the Khayal and the 'Purab Ang' – Thumri.

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राग

संबंधित राग परिचय

खमाज

रात्रि के रागों में श्रंगार रस के दो रूप, विप्रलंभ तथा उत्तान श्रंगार से ओत प्रोत है राग खमाज। चंचल प्रक्रुति की श्रंगार रस से सजी हुई यह ठुमरी की रगिनी है। इस राग में गंभीरता की कमी के कारण इसमें ख्याल नही गाये जाते। 
इस राग में आरोह में धैवत का अपेक्षाक्रुत कम प्रयोग किया जाता है जैसे - ग म प ध प प सा' नि१ ध प; ग म प नि सा'। अवरोह में धैवत से अधिकतर सीधे मध्यम पर आते हैं और पंचम को वक्र रूप से प्रयोग करते हैं जैसे - नि१ ध म प ध म ग। अवरोह में रिषभ को कण स्वर के रूप में लेते हैं जैसे - म ग रेसा। 
इस राग का विस्तार मध्य और तार सप्तक में किया जाता है। जब इस राग में कई रागों का मिश्रण करके गाते हैं तो उसे 'मिश्र खमाज' नाम दिया जाता है। यह स्वर संगतियाँ राग खमाज का रूप दर्शाती हैं -

,नि सा ग म प ; प ध ; म प म ग ; ग म प ध नि सा' ; नि सा' प ; प ध प सा' ; सा' नि ध प ; ध प म प ध प म ग म ; प म ग रे ; ग सा ; सा ग म प ; ग म प ध ; प नि१ ध प ; प ध प नि१ ध प म ग ; म प ग म ग रे ग सा ; सा' रे' सा' सा' नि१ ध प ; म प म म ग रे ग सा ; ,नि१ ,ध सा;

थाट

आरोह अवरोह
सा ग म प नी सा - सां नी ध प म ग सा
वादी स्वर
संवादी स्वर
नी

राग

Comments

Pooja Mon, 19/04/2021 - 21:45

राग खमाज का परिचय
वादी: ग
संवादी: ऩि
थाट: KHAMAJ
आरोह: सागमपधनिसां
अवरोह: सांनि॒धपमगरेसा
पकड़: ऩिसागमप
रागांग: पूर्वांग
जाति: SHADAV-SAMPURN
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर ७ बजे से १० बजे तक