સાંજની પૂજામાં પૂજા, આરતી, પ્રાર્થના કે ધ્યાન કરવું?
कीर्तन : ईश्वर, भगवान, देवता या गुरु के प्रति स्वयं के समर्पण या भक्ति के भाव को व्यक्त करने का एक शांति और संगीतमय तरीका है कीर्तन। इसे ही भजन कहते हैं। भजन करने से शांति मिलती है। भजन करने के भी नियम हैं। गीतों की तर्ज पर निर्मित भजन, भजन नहीं होते। शास्त्रीय संगीत अनुसार किए गए भजन ही भजन होते हैं। सामवेद में शास्त्रीय संगीत का उल्लेख मिलता है। नवधा भक्ति में से एक है कीर्तन।
अद्भुत औषधि है कीर्तन...!
मंदिर में कीर्तन सामूहिक रूप से किसी विशेष अवसर पर ही किया जाता है। कीर्तन के प्रवर्तक देवर्षि नारद हैं। कीर्तन के माध्यम से ही प्रह्लाद, अजामिल आदि ने परम पद प्राप्त किया था। मीराबाई, नरसी मेहता, तुकाराम आदि संत भी इसी परंपरा के अनुयायी थे।
कीर्तन के दो प्रकार हैं- देशज और शास्त्रीय। देशज अर्थात लोक संगीत परंपरा से उपजा कीर्तन जिसे 'हीड़' भी कहा जाता है। शास्त्रीय अर्थात जिसमें रागों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। संतों के दोहे और भजनकारों के पदों को भजन में गाया जाता है।
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