Malgunji
यह बहुत ही मीठा राग है। यह बागेश्री से मिलता जुलता राग है। आरोह में शुद्ध गंधार लगाने से यह राग बागेश्री से अलग होता है। इसमें आरोह में शुद्ध गंधार और अवरोह में कोमल गंधार का प्रयोग किया जाता है।
- Read more about Malgunji
- Log in to post comments
- 876 views
Malkauns
राग मालकौन्स रात्रि के रागों में बहुत ही लोकप्रिय राग है। इस राग के युगल स्वरों में परस्पर संवाद अधिक होने से इसमें मधुरता टपकती है। इस राग का चलन विशेषतया मध्यम पर केंद्रित रहता है। मध्यम पर निषाद, धैवत तथा गंधार स्वरों पर आन्दोलन करके मींड के साथ आने से राग का स्वतंत्र अस्तित्व झलकता है। इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में समान रूप से किया जाता है। इस राग की प्रक्रुति शांत व गंभीर है। यह स्वर संगतियाँ राग मालकौन्स का रूप दर्शाती हैं -
राग के अन्य नाम
- Read more about Malkauns
- Log in to post comments
- 42699 views
Mand
राग मांड चंचल तथा क्षुद्र प्रक्रुति का, सुनने में सहज परंतु गायन वादन में कठिन राग है। मांड गायन वादन का विशेष प्रचार मारवाड में है। राजस्थान के अतिरिक्त गुजरात के गीत, लोकगीत आदि इस राग की लहरियों से सजे हुए हैं।
- Read more about Mand
- Log in to post comments
- 1875 views
Maru Bihag
राग मारूबिहाग बहुत ही सुन्दर राग है। म ग रे सा गाते समय रिषभ को सा का स्पर्श देना चहिये। जैसे इस स्वर संगति मे दर्शाया गया है -
,नि सा ग म् ग रे सा ; ग म् प नि ; नि सा' ; सा' नि ध प नि सा' ध प ; म् ग म् ग रे सा ; सा म म ग ; प ध प म् ; ग म् ग रे सा ;
- Read more about Maru Bihag
- Log in to post comments
- 13970 views
Marwa
राग मारवा माधुर्य से परिपूर्ण राग है। इस राग में रिषभ और धैवत प्रमुख स्वर हैं। जिस पर बार बार ठहराव किया जाता है, जिससे राग मारवा स्पष्ट होता है। इस राग का विस्तार क्षेत्र सीमित है। राग पूरिया इसका सम प्राकृतिक राग है। परंतु राग पूरिया में गंधार और निषाद पर ज्यादा न्यास किया जाता है। इस राग का विस्तार मध्य सप्तक में ज्यादा किया जाता है। इस राग को गाने से वैराग्य भावना उत्पन्न होती है।
यह स्वर संगतियाँ राग मारवा का रूप दर्शाती हैं - सा ; ,नि ,ध ,नि रे१ ; ग म् ध ; म् ग रे१ ; ,नि ,ध रे१ सा ; म् ध ; ध नि रे१' नि ध ; म् ध ; म् ग रे१ ; ग रे१ ,नि ,ध रे१ सा ;
- Read more about Marwa
- Log in to post comments
- 5473 views
राग परिचय
हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत
हिन्दुस्तानी संगीत में इस्तेमाल किए गए उपकरणों में सितार, सरोद, सुरबहार, ईसराज, वीणा, तनपुरा, बन्सुरी, शहनाई, सारंगी, वायलिन, संतूर, पखवज और तबला शामिल हैं। आमतौर पर कर्नाटिक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में वीना, वीनू, गोत्वादम, हार्मोनियम, मृदंगम, कंजिर, घमत, नादाश्वरम और वायलिन शामिल हैं।