सम्पूर्ण - सम्पूर्ण
Aheer Bhairav
Ahir Bhairav
Thaat: Chakarvak (Ahir Bhairav), Bhairav*
Jati: Sampooran- Sampooran (7/7)
Virjit Notes: none
Vadi: Ma
Samvadi: Sa
Vikrat Notes: R & N komal
Time: Morning
Aroh: S r G m P D n S*
Avroh: S* n D P m G r S
- Read more about Aheer Bhairav
- Log in to post comments
- 15475 views
Bhairavi
Bhairavi (Sanskrit: भैरवी) is a Hindu goddess, described as one of the Mahāvidyas, the ten avatars of the mother goddess. She is the consort of Dakṣiṇāmūr
Etymology
The name Bhairavi means "terror" or "awe-inspiring".
Iconography
Bhairava with his consort, Bhairavi.
Her dhyana shloka in the Devi Mahatmya describes her form. She wears red garments and wears a garland of severed heads around her neck. She has three eyes and her head is adorned with a crescent moon.
Tripura Sundari and Tripura Bhairavi are closely associated but different.[4]
- Read more about Bhairavi
- Log in to post comments
- 8842 views
Todi
Miyan ki Todi, often simply referred to as Todi or Darbari Todi (IAST: Toḍi), is a Hindustani classical raga which gave its name to the Todi thaat, one of the ten types of classical music according to the musicologist Bhatkhande. Ragas from the Todi raganga (class of ragas) include Todi (a.k.a. Miyan ki Todi) itself, Bilaskhani Todi, Gujari Todi (also called Gurjari Todi), Desi Todi, Hussaini Todi, Asavari Todi (more commonly known as Komal Rishabh Asavari), and Bahaduri Todi.
- Read more about Todi
- Log in to post comments
- 12972 views
Gaud Sarang
यह दिन के तीसरे प्रहर में गाया जाने वाला सुमधुर राग है। सारंग अंग के सभी रागों के पश्चात इस राग को गाने की प्रथा है। इस राग का वादी स्वर गंधार और संवादी स्वर धैवत है जबकि राग सारंग में ये दोनों स्वर वर्ज्य हैं। इस राग में सिर्फ प-रे की संगति ही सारंग राग को दर्शाती है। इस राग का अपना स्वतंत्र रूप है और आरोह-अवरोह में आने वाली वक्रता से ही राग स्पष्ट होता है। ग रे म ग ; प रे सा यह स्वर संगतियां राग वाचक हैं और प्रत्येक आलाप में इसका प्रयोग होता है।
- Read more about Gaud Sarang
- Log in to post comments
- 4934 views
Basant Mukhari
राग बसंत मुखारी दिन के रागों में बडा ही मीठा परंतु कठिन राग है। इस राग में पूर्वांग में राग भैरव (सा रे१ ग म) और उत्तरांग में राग भैरवी (प ध१ नि१ सा') का समन्वय है। इसलिये इसे गाने के लिये बहुत रियाज कि आवश्यकता होती है।
यह स्वर संगतियाँ राग बसंत मुखारी का रूप दर्शाती हैं - रे१ रे१ सा ; रे१ ग ; ग ग म ; म ग म प ; प म ; प ध१ नि१ ; नि१ ध१ प म ग ; रे१ ग म प म ; नि१ ध१ ; रे१' सा' ; ध१ नि१ ध१ प ; प म ग म ; रे१ ग म प म ; ग म रे१ रे१ सा ; ,नि१ ,ध१ ,नि१ सा ; रे१ ग म ; ग प म ग रे१ सा ;
- Read more about Basant Mukhari
- Log in to post comments
- 2493 views
Bhairav
Bhairav
Thaat: Bhairav
Jati: Sampooran-Sampooran (7/7)
Vadi: D
Samvadi: R
Vikrit: R, D komal
Virjit: none
Aroh: S r G m P d N S*
Avroh: S* N d P m G r S
Time: Morning
- Read more about Bhairav
- Log in to post comments
- 21308 views
Bhatiyar
राग भटियार मारवा ठाट से उत्पन्न राग है। सा ध ; नि प ; ध म ; प ग; यह राग भटियार की राग वाचक स्वर संगतियाँ हैं। यह राग वक्र है और गाने में कठिन है इसीलिए इसे गुरुमुख से ही सीखना ही उचित है।
इस राग में मांड की कुछ झलक भी दिखाई देती है। नि ध नि प ध म - इन स्वरों से राग मांड झलकता है। आरोह में रिषभ और निषाद दुर्बल हैं। अवरोह में शुद्ध मध्यम एक न्यास का स्वर है। उत्तरांग का प्रारम्भ तीव्र मध्यम से किया जाता है। इस राग से वातावरण में उग्रता का भाव उत्पन्न होता है। इसे तीनों सप्तकों में गाया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग भटियार का रूप दर्शाती हैं -
- Read more about Bhatiyar
- Log in to post comments
- 4223 views
Gauri (Bhairav Ang)
Yamani
- Read more about Yamani
- Log in to post comments
- 542 views
Maluha
- Read more about Maluha
- Log in to post comments
- 112 views