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षाडव - सम्पूर्ण

Jhinjhoti

राग झिंझोटी चंचल प्रकृति का राग है इसीलिए यह राग वाद्य यन्त्रों के लिये बहुत उपयुक्त है। इसमे श्रृंगार रस की अनुभूति होती है अतः इसमें भजन, ठुमरी, पद इत्यादि गाये जाते हैं। इस राग का विस्तार मंद्र और मध्य सप्तक में विशेष रूप से होता है।

आरोह में गंधार का उपयोग ,प ,ध सा रे ग म ग इस तरह से ही किया जाता है। परन्तु अवरोह में गंधार पर न्यास किया जाता है जैसे - सा' प ध म ग ; रे प म ग ; म ग ; म ग रे सा ; ,नि१ ,ध ,प ,ध सा;। इसका निकटस्थ राग खम्बावती है। यह स्वर संगतियाँ राग झिंझोटी का रूप दर्शाती हैं -

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