जैत्रसिंह चौहान
Hameer
Anand
Sun, 21/03/2021 - 09:46
राग हमीर रात्रि के समय का वीर रस प्रधान और चंचल प्रक्रुति का राग है। यह कल्याण थाट का राग है। ग म नि ध ; ध ध प यह राग वाचक स्वर संगति कान में पडते ही राग हमीर का स्वरूप स्पष्ट हो जाता है। सा रे सा सा ; ग म नि ध इस प्रकार निषाद से धैवत पर खटके से अथवा मींड द्वारा आया जाता है। इस राग में तीव्र मध्यम के साथ पंचम लिया जाता है जैसे - म् प ग म ध। इस राग के आरोह में निषाद को वक्र रूप में लिया जाता है जैसे - ग म ध नि ध सा'। वैसे ही अवरोह में गंधार को वक्र रूप मे लिया जाता है जैसे - म प ग म रे सा।
राग के अन्य नाम
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