संगीत के सुरों से होगा इलाज
दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों की भागदौड़ भरी जिन्दगी में उच्च रक्तचाप, अवसाद, तनाव और हृदयरोग के बढ़ते मामलों का अनूठा इलाज 'संगीत' में छिपा है और यह दावा करने वाला एक कलाकार संगीत से चिकित्सा के इन्हीं रहस्यों से परदा उठाने की कोशिश कर रहा है ।
युवा तबला वादक मुस्तफा हुसैन ने बताया, 'पूरी मनुष्य प्रजाति एक-दो-तीन-चार के ताल में चल रही है। यही मूलभूत लय है, जिस पर पूरी सृष्टि आधारित है।' उन्होंने कहा, 'संगीत सुकून तो पैदा ही करता है, इसमें तनाव, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, डिप्रेशन सहित कई बीमारियों को दूर करने की अचूक शक्ति है बशर्ते इसे सही ढंग से इस्तेमाल किया जाए।
मैंने इस दिशा में अभी व्यक्तिगत स्तर पर छोटी सी शुरूआत की है लेकिन बाद में इसे व्यापक बनाकर संगीतज्ञों, वैज्ञानिकों और चिकित्सकों की मदद से कुछ अनूठे प्रयोग करने का इरादा है।' हुसैन ने कहा कि ताल में अलग कशिश है, जिसमें इंसान खो जाता है और इसमें स्वर जुड़ता है तो सोने पर सुहागा हो जाता है।
उन्होंने कहा, कई बीमारियों का इलाज भारतीय शास्त्रीय संगीत के विभिन्न रागों में छिपा है। मसलन राग दरबारी सिर दर्द और तनाव को दूर करता है और यह डिप्रेशन एवं ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियों से निजात दिलाने में सहायक है तो राग दीपक एसिडिटी की समस्या को खत्म करता है।
हुसैन ने कहा कि नौ रसों में बीमारी दूर भगाने की ताकत है। शास्त्रीय संगीत के विभिन्न राग इतने वैज्ञानिक हैं कि सही जानकारी एकत्र कर इन्हें मिजाज और शारीरिक एवं मानसिक व्याधि और लक्षणों के अनुरूप पिरोया जाए तो यह रोगनाशक का काम करेगा।
मोहन वीणा वादक अनुपमा कुमारी ने कहा कि बीमारी के इलाज में जिस तरह दवाओं की मात्रा कम या ज्यादा की जाती है, सुरों की लयबद्धता और उतार चढ़ाव को कम-ज्यादा कर साधारण या गंभीर बीमारी में राहत दी जा सकती है। यही स्थिति ताल के साथ भी है जो शरीर की घड़ी की चाल को कम ज्यादा करने में सक्षम है ।
अनुपमा ने कहा, 'आम आदमी की भाषा में इसे कुछ इस तरह समझिए तीन ताल को छोटा करें तो कहरवा बनता है जबकि दादरा में तीन मात्रा है। इसे बड़ा करें तो एक ताल बनता है। ये अलग अलग ताल अलग अलग फ्रीक्वेंसी शरीर में पैदा करते हैं।'
उन्होंने कहा कि कोई भी राग यदि लयबद्ध नहीं है तो लुत्फ नहीं है। ताल लय को ही बताता है। लय समय मापने की विधि है। इस वैज्ञानिकता के आलोक में यदि चिकित्सकों और संगीतकारों की मदद से संगीत-थेरेपी पर कड़ा अनुसंधान हो तो कई चौंकाने वाले किन्तु सकारात्मक नतीजे देखने में आएँगे।
हुसैन ने कहा कि संगीत से इलाज की अवधारणा भारत में अभी कोसों दूर है। विदेश में जरूर इस क्षेत्र में काफी काम हो रहा है । दुर्भाग्य है कि भारत का शास्त्रीय संगीत ही अलग-अलग रूपों में दुनिया के बाकी हिस्सों में गया और यहीं पर संगीत से थेरेपी के मामले में उत्साहजनक कार्य नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि वह संगीत से चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ नये सूत्र और गणनाओं को लेकर अध्ययन कर रहे हैं और कुछ प्रयोग भी जारी हैं जो सफल होने पर इस दिशा में कुछ प्रगति की उम्मीद है।
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