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Aigiri Nandini Dance | Maa Kali Dance | Mahakali Dance | Mahishasura Mardini | Durga Dance| Navdurga

Navdurga Roop :
Mahakali - 3:13 - 3:27 ; 1:17 - 1:36
Mahagauri - 0:00 - 0:32 ; 2:23 - 2:52
Kushmanda - 0:52 - 1:16
Sidhhidatri ( Maa durga ) - 3:26 - 3:42
Chandraghanta - 1:37
Nav durga name - 3:43 - 4:05

Credits : https://www.youtube.com/watch?v=lvrEY...

VOCALS : 
Sreejith Edavana, Saachin Raj Chelory, Ranjith Unni, Saptaparna Chakraborty, Latha Krishna

Hello Friends....

This Festive Season ( Durga Puja / Navratri ) I Have Danced on Mahakali Aigiri Nandini Song With Mahishasura Mardini Stotram as Navadurga Avatar And Mahakali Dance . I Hope You All Like My This Dance Cover As Previous On Aigiri Nandini Song As Navdurga Incarnate.

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Self Choreographed By - Sonamika Majumdar Paul - Rungia Dance.

Videography & Edited by- Subir Paul
 

नृत्य

  • मोहिनीअट्टम

    • मोहिनीअट्टम

      मोहिनीअट्टम एक भारतीय शास्त्रीय नृत्य है, जिसकी जड़े कला की भारतीय कला की जननी समझी जाने वाली पुष्तक नाट्य शास्त्र में हैं। जिसके रचयिता प्राचीन विद्वान भरत मुनि हैं 
      इसकी पहली पूर्ण संकलन 200 ईसा पूर्व और 200 ईसा के बाद की मानी जाती हैं मोहिनीअट्टम संरचना इस प्रकार है और नाट्य शास्त्र में लास्य नृत्य के लिए करना है।
      रेजिनाल्ड मैसी के अनुसार, मोहिनीअट्टम के इतिहास के बारे में स्पष्ट नहीं है। केरल जहां इस नृत्य शैली विकसित हुई है और लोकप्रिय है, लास्य शैली नृत्य जिसका मूल बातें और संरचना जड़ में हो सकता है कि एक लंबी परंपरा है।

      Comments

      Anand Tue, 08/02/2022 - 22:00

      मोहिनीअट्टम (अंग्रेज़ी:Mohiniyattam)केरल की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला अर्ध शास्त्रीय नृत्य है जो कथकली से अधिक पुराना माना जाता है। साहित्यिक रूप से नृत्‍य के बीच मुख्‍य माना जाने वाला जादुई मोहिनीअटट्म केरल के मंदिरों में प्रमुखत: किया जाता था। यह देवदासी नृत्‍य विरासत का उत्तराधिकारी भी माना जाता है जैसे किभरतनाट्यम, कुची पुडी और ओडिसी। इस शब्‍द मोहिनी का अर्थ है एक ऐसी महिला जो देखने वालों का मन मोह ले या उनमें इच्‍छा उत्‍पन्‍न करें। यह भगवान विष्णु की एक जानी मानी कहानी है कि जब उन्‍होंने दुग्‍ध सागर के मंथन के दौरान लोगों को आकर्षित करने के लिए मोहिनी का रूप धारण किया था और भस्मासुर के विनाश की कहानी इसके साथ जुड़ी हुई है। अत: यह सोचा गया है कि वैष्‍णव भक्तों ने इस नृत्‍य रूप को मोहिनीअटट्म का नाम दिया।

      इतिहास

      मोहिनीअटट्म का प्रथम संदर्भ माजामंगलम नारायण नब्‍बूदिरी द्वारा संकल्पित व्‍यवहार माला में पाया जाता है जो 16वीं शताब्‍दी में रचा गया। 19वीं शताब्‍दी में स्‍वाति तिरुनाल, पूर्व त्रावण कोर के राजा थे, जिन्‍होंने इस कला रूप को प्रोत्‍साहन और स्थिरीकरण देने के लिए काफ़ी प्रयास किए। स्‍वाति के पश्‍चात के समय में यद्यपि इस कला रूप में गिरावट आई। 

       

      मोहिनीअट्टम नृत्य, केरल

       किसी प्रकार यह कुछ प्रांतीय जमींदारों और उच्‍च वर्गीय लोगों के भोगवादी जीवन की संतुष्टि के लिए कामवासना तक गिर गया। कवि वालाठोल ने इसे एक बार फिर नया जीवन दिया और इसे केरल कला मंडलम के माध्‍यम से एक आधुनिक स्‍थान प्रदान किया, जिसकी स्‍थापना उन्‍होंने 1903 में की थी। कलामंडलम कल्‍याणीमा, कलामंडलम की प्रथम नृत्‍य शिक्षिका थीं जो इस प्राचीन कला रूप को एक नया जीवन देने में सफल रहीं। उनके साथ कृष्‍णा पणीकर, माधवी अम्‍मा और चिन्‍नम्‍मू अम्‍मा ने इस लुप्‍त होती परम्‍परा की अंतिम कडियां जोड़ी जो कलामंडल के अनुशासन में पोषित अन्‍य आकांक्षी थीं।

      भगवान के प्रति समर्पण

      मोहिनीअटट्म की विषय वस्‍तु प्रेम तथा भगवान के प्रति समर्पण है। विष्णु या कृष्ण इसमें अधिकांशत: नायक होते हैं। इसके दर्शक उनकी अदृश्‍य उपस्थिति को देख सकते हैं जब नायिका या महिला अपने सपनों और आकांक्षाओं का विवरण गोलाकार गतियों, कोमल पद तालों और गहरी अभिव्‍यक्ति के माध्‍यम से देती है। नृत्‍यांगना धीमी और मध्‍यम गति में अभिनय के लिए पर्याप्‍त स्‍थान बनाने में सक्षम होती है और भाव प्रकट कर पाती है। इस रूप में यह नृत्‍य भरतनाट्यम के समान लगता है। इसकी गतिविधियोंओडिसी के समान भव्‍य और इसके परिधान सादे तथा आकर्षक होते हैं। यह अनिवार्यत: एकल नृत्‍य है किन्‍तु वर्तमान समय में इसे समूहों में भी किया जाता है। मोहिनीअटट्म की परम्‍परा भरत नाट्यम के काफ़ी क़्ररीब चलती है। चोल केतु के साथ आरंभ करते हुए नृत्‍यांगना जाठीवरम, वरनम, पदम और तिलाना क्रम से करती है। वरनम में शुद्ध और अभिव्‍यक्ति वाला नृत्‍य किया जाता है, जबकि पदम में नृत्‍यांगना की अभिनय कला की प्रतिभा‍ दिखाई देती है जबकि तिलाना में उसकी तकनीकी कलाकारी का प्रदर्शन होता है।

      नृत्‍य ताल

       

      मोहिनीअट्टम नृत्य

      मूलभूत नृत्‍य ताल चार प्रकार के होते हैं:

      • तगानम
      • जगानम
      • धगानम
      • सामीश्रम

      ये नाम वैट्टारी नामक वर्गीकरण से उत्‍पन्‍न हुए हैं।

      वेशभूषा

      मोहिनीअटट्म में सहज लगने वाली साज सज्‍जा और सरल वेशभूषा धारण की जाती है। नृत्‍यांगना को केरल की सफ़ेद और सुनहरी किनारी वाली सुंदर कासावू साड़ी में सजाया जाता है।

      हस्‍त लक्षण दीपिका

      अन्‍य नृत्‍य रूपों के समान मोहिनीअटट्म में हस्‍त लक्षण दीपिका को अपनाया जाता है, जैसा कि मुद्रा की पाठ्य पुस्‍तक या हाथ के हाव भाव में दिया गया है। मोहिनीअटट्म के लिए मौखिक संगीत की शैली, जैसा कि आमतौर पर देखा गया है, शास्‍त्रीय कर्नाटक है। इसके गीत महाराजा स्‍वाति तिरुनल और इराइमान थम्‍पी द्वारा किए गए हैं जो मणिप्रवाल (संस्‍कृत और मलयालम का मिश्रण) में हैं। हाल ही में थोपी मडालम और वीना ने मोहिनीअटट्म में पृष्‍ठभूमि संगीत प्रदान किया। उनके स्‍थान पर हाल के वर्षों मेंमृदंग और वायलिन आ गया है।

      Anand Tue, 08/02/2022 - 22:01
      विवरण मोहिनीअट्टम केरल की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला अर्ध शास्त्रीय नृत्य है जो कथकली से अधिक पुराना माना जाता है।
      इतिहास मोहिनीअटट्म का प्रथम संदर्भ माजामंगलम नारायण नब्‍बूदिरी द्वारा संकल्पित व्‍यवहार माला में पाया जाता है जो 16वीं शताब्‍दी में रचा गया।
      नृत्‍य ताल तगानम, जगानम, धगानम, सामीश्रम
      मोहिनी का अर्थ एक ऐसी महिला जो देखने वालों का मन मोह ले।
      धार्मिक मान्यता यह भगवान विष्णु की एक जानी मानी कहानी है कि जब उन्‍होंने दुग्‍ध सागर के मंथन के दौरान लोगों को आकर्षित करने के लिए मोहिनी का रूप धारण किया था और भस्मासुर के विनाश की कहानी इसके साथ जुड़ी हुई है।
      वेशभूषा नृत्‍यांगना को केरल की सफ़ेद और सुनहरी किनारी वाली सुंदर कासावू साड़ी में सजाया जाता है।
      अन्य जानकारी यह अनिवार्यत: एकल नृत्‍य है किन्‍तु वर्तमान समय में इसे समूहों में भी किया जाता है।