शख्सियत
शास्त्रीय संगीत के बढ़े हैं श्रोता-जसराज
मेवाती घराने के हिन्दुस्तानी शैली के जाने माने शास्त्रीय गायक पंडित जसराज ने कहा कि चैनलों पर आने वाले कार्यक्रमों की वजह से शास्त्रीय संगीत के श्रोताओं की संख्या बढ़ रही है।
अपने जन्म दिन की पूर्व संध्या पर पद्म विभूषण पंडित जसराज ने कहा पंडाल लगाकर आयोजित किए जाने वाले शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों में तीन-चार हजार लोग ही आ पाते हैं। इस बात के लिए चैनलों का शुक्रिया अदा किया जाना चाहिए कि उन्होंने शास्त्रीय संगीत को घर- घर तक पहुँचाया।
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किशोरी अमोनकर के शास्त्रीय संगीत में भारतीय संस्कृति की आत्मा बसती थी
किशोरी अमोनकर एक भारतीय शास्त्रीय गायक थीं जिन्होंने अपने शास्त्रीय संगीत के बल पर दशकों तक हिन्दुस्तान के संगीतप्रेमियों के दिल में अपनी जगह बनाए रखी। किशोरी अमोनकर का जन्म 10 अप्रैल 1932 को मुंबई में हुआ था।
किशोरी अमोनकर को हिन्दुस्तानी परंपरा के अग्रणी गायकों में से एक माना जाता है। किशोरी अमोनकर जयपुर-अतरौली घराने की प्रमुख गायिका थीं। किशोरी अमोनकर एक विशिष्ट संगीत शैली के समुदाय का प्रतिनिधित्व करती थीं जिसका देश में बहुत मान है। किशोरी अमोनकर जब 6 वर्ष की थी तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी।
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शास्त्रीय संगीत को मिला प्रोत्साहन-जसराज
अपने जीवन के कल 78 वर्ष पूरे करने जा रहे पंडित जसराज एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि वह शास्त्रीय संगीत के भविष्य को लेकर उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि इंडियन आइडल और सारेगामा जैसे टीवी रियलिटी-शो के कारण युवा पीढ़ी की शास्त्रीय संगीत में रूचि बढ़ रही है।
जसराज के अनुसार शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रमों में यदि एक हजार से अधिक श्रोता आ जाएँ तो उसे बेहद सफल कार्यक्रम माना जाता है, लेकिन इन रियलिटी-शो में दस-दस हजार तो दर्शक रहते हैं और टीवी के माध्यम से इसे लाखों लोग देखते हैं। यह एक उत्साहजनक बात है।
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शास्त्रीय संगीत के बेताज बादशाह हैं पंडितजी
ख्यात शास्त्रीय गायिका पद्मश्री पद्मजा फेणाणी जोगलेकर ने पंडित भीमसेन जोशी को भारत रत्न दिए जाने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि पंडितजी शास्त्रीय संगीत के बेताज बादशाह हैं और उन्हें यह सम्मान बहुत पहले मिल जाना चाहिए था।
सुश्री पद्मजा ने वेबदुनिया से बातचीत में कहा कि पंडित जोशी ने अपार कष्ट झेलकर स्वरों का महल खड़ा किया है। संगीत साधना के लिए उन्होंने बचपन में ही घर छोड़ दिया था। सवाई गंधर्व समेत कई गुरुओं के सान्निध्य में उन्होंने कठोर कला साधना की।
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पुष्कर लेले
Pushkar Lele (born 14 November 1979) is a Hindustani Classical Vocalist. He is best known for his 'Kumar Gandharva Style Gayaki (singing)'.
Early life
Lele, a child prodigy, was introduced to the world of music while in kindergarten when his aunt gifted him a toy harmonium. He would play National Anthem and other nursery rhymes on the toy harmonium.[1] This is when his mother noticed his musical talent and started his formal music training in light music under Ms. Medha Gandhe.[2]
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विजय कोपरकर
Early life and education
Vijay Koparkar hails from Pune. His father was a renowned Kirtankar. He had a brother who was a successful dermatologist. Koparkar attended the Maharashtra education societies, Perugate Bhave school. Later he obtained a master's degree in Engineering (Metallurgy) from the College of Engineering, Pune and runs a small-scale manufacturing plant.
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रवि किचलू
Ravi Kichlu (Kashmiri: रवि किचलू (Devanagari), راوی کچلو (Nastaleeq)) (December 24, 1932 – 1993), popularly known as Pandit Ravi Kichlu, was a prominent classical Hindustani vocalist of Agra gharana, who formed a well-known duo with his brother Vijay Kichlu. He studied Dhrupad with the Dagar Brothers.
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पंडित चित्रेश दास
पंडित चित्रेश दास (९ नवंबर १ ९ ४४ - ४ जनवरी २०१५) कथक के उत्तर भारतीय शैली के एक शास्त्रीय नर्तक थे। कलकत्ता में जन्मे दास एक कलाकार, कोरियोग्राफर, संगीतकार और शिक्षक थे। उन्होंने कथक को अमेरिका लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अमेरिका में भारतीय प्रवासी भारतीयों के बीच कथक को मजबूती से स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। 1979 में, दास ने कैलिफोर्निया में छंदम स्कूल और चित्रेश दास डांस कंपनी की स्थापना की। 2002 में, उन्होंने भारत में छंदम नृत्य भारती की स्थापना की। आज, दुनिया भर में छंदम की दस से अधिक शाखाएँ हैं। 2015 में अपनी मृत्यु तक, दास ने जीवन के तरीके, आत्म-ज्ञान प्राप्त करने का म
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उस्ताद पंडित उल्हास बापट
पंडित उल्हास बापट (पंडित उल्हास बापट) (31 अगस्त 1950 - 4 जनवरी 2018), भारत के एक प्रतिष्ठित संतूर वादक थे।
बापट ने लीजेंडरी सरोद पुण्यसु विदुषी ज़रीन दारूवाला शर्मा, लीजेंडरी हिंदुस्तानी क्लासिकल वोकलिस्ट पंडित के। जी। गिंदे और पंडित वामनराव सादोलिकर के तहत अध्ययन किया।
लंबी बीमारी के कारण 4 जनवरी 2018 को उनका निधन हो गया।
उनके बारे में यहाँ और अधिक पढ़ें »www.santoorulhas.com
उनकी पुण्यतिथि पर, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और सब कुछ भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनकी सेवाओं के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देता है। 🙏
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तबला वादक और गुरु उस्ताद अमीर हुसैन खान
फ़र्रुख़ाबाद घराने के उस्ताद अमीर हुसैन खान (अक्टूबर 1899 - 5 जनवरी 1969) भारतीय संस्कृति के सच्चे अवतार थे। अक्टूबर 1899 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के बनखंडा नामक एक गाँव में जन्मे, जब वह छह साल के थे, तब उन्हें उनके पिता ने संगीत में दीक्षा दी। उनके पिता उस्ताद अहमद बख्श खान एक प्रसिद्ध सारंगी वादक थे, जिन्हें मेरठ से हैदराबाद के दरबार में लाया गया था।
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