गौड मल्हार
Raag Gaur Malhar
Raga Gaud Malhar - Paapi Dadarwa Bulaaye by Trina Chatterjee
Paapi Dadarwa Bulaaye' Raga Gaud Malhar Artiste: Trina (Mukherjee) Chatterjee A monsoon special - Raga Gaud Malhar is a popular raga from the Malhar family. This piece is from Trina Chatterjee's 3rd album, an independent production comprising 5 Khyaals in medium tempo and a Ghazal by Faiz. Trina is a versatile singer trained in Hindustani Classical Vocal Music. She is equally adept at and semi-classical forms of Thumri, Bhajan, Ghazal and Rabindra Sangeet. Trina has 2 successful albums, 'Mitti' and 'Geeli Mitti' to her credit, under the label of Mystica Music.
Malhar 1 Rag "Gaud Malhar Umad Ghumad"
Based on rainy season Malhar is a semi classical style of singing. Malhar itself mean “the rain.” Semi classical “Bandish” (Determined melody structure) are chiefly sung in this rag. Its main themes of this rag are the rain, love and the nature. This rag has a very prominent place among the seasonal ragas. It creates very melodious environment. Let know in short about Rag Gaudh Malhar before we listen to the malhar based on this rag. This Rag is very melodious, captivating and powerful but at the same time is difficult to sing. This Rag is also known as Gaudh.
गौड मल्हार
यह बहुत ही मधुर, चित्ताकर्षक और प्रभावशाली राग है परन्तु गाने में कठिन है। यह राग बहुत प्रचलन में है। इस राग को राग गौड के नाम से भी जाना जाता हैं। इस राग में गौड़ अंग, शुद्ध मल्हार अंग और बिलावल अंग का मिश्रण दिखाई देता है।
राग के अन्य नाम
- Read more about गौड मल्हार
- 1 comment
- Log in to post comments
- 2705 views
संबंधित राग परिचय
गौड मल्हार
यह बहुत ही मधुर, चित्ताकर्षक और प्रभावशाली राग है परन्तु गाने में कठिन है। यह राग बहुत प्रचलन में है। इस राग को राग गौड के नाम से भी जाना जाता हैं। इस राग में गौड़ अंग, शुद्ध मल्हार अंग और बिलावल अंग का मिश्रण दिखाई देता है।
आरोह में, पूर्वांग का प्रारम्भ गौड़ अंग से किया जाता है जैसे - सा रे ग म ; म ग म ; ग रे ग (रे)सा ; रे ग म प म। इसके पश्चात मल्हार अंग दिखाया जाता है जैसे - सा रे ग म ; म (म)रे ; (म)रे (म)रे प ; म प ध (नि१)प ; ग प म आरोह में ही उत्तरांग लेने के लिए म प ध सा' या म प ध नि सा (मल्हार अंग) या प प नि ध नि सा' (बिलावल अंग) इन स्वरों का प्रयोग किया जाता है। इस राग में दो प्रकार से अवरोह लिया जाता है - सा' ध नि१ प (बिलावल अंग) या सा' ध प म (शुद्ध मल्हार अंग)।
सा' ध प म ; ध नि१ प म ; म प ध नि१ प म ग ; रे ग रे सा यह स्वर संगती बहुत ही कर्णप्रिय लगती है। इस राग का वातावरण विप्रलंभ श्रंगार (विरह) से परिपूर्ण है। यह स्वर संगतियाँ राग गौड मल्हार का रूप दर्शाती हैं -
सा रे ग म ; म रे ; म रे (म)रे प ; म प ध (नि१)प ; म प ध नि सा' ; रे' सा' ध नि१ प ; ध प म ग प म ; प ; प नि ध नि सा' ; सा' ध प म ; म रे (म)रे ; प ; ग प म ; सा रे ग म ; ग रे ग म ; ग रे ग (रे)सा ;
थाट
राग जाति
गायन वादन समय
राग के अन्य नाम
Tags
राग
- Log in to post comments
- 2705 views
राग गौड़ मल्हार का परिचय
राग गौड़ मल्हार का परिचय
वादी: म
संवादी: सा
थाट: BILAWAL
आरोह: सारे गम रेप मप धनिसां
अवरोह: सांध निप मग मरेसा
पकड़: रेगरेमगरेसा रेपमपधसांधप
रागांग: उत्तरांग
जाति: SAMPURN-SAMPURN
समय: रात्रि का द्वितीय प्रहर
विशेष: यह राग वर्षा ऋतु में गाया बजाया जाता है। इस राग में पूर्वांग में गौड़ का तथा उत्तरांग में मल्हार का अंग स्पस्ट होता है।