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Gurjari Todi

राग तोडी में पंचम स्वर को वर्ज्य करने से एक अलग प्रभाव वाला राग गुर्जरी तोडी बनता है। इस राग को गुजरी तोडी भी कहते हैं। इस राग की प्रकृति गंभीर है। यह भक्ति तथा करुण रस से परिपूर्ण राग है।

राग तोड़ी की अपेक्षा इस राग में कोमल रिषभ को दीर्घ रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इस राग का विस्तार तीनों सप्तकों में किया जा सकता है। यह स्वर संगतियाँ राग गुर्जरी तोडी का रूप दर्शाती हैं -

सा ; ,नि ,ध१ ; ,म् ,ध१ ; ,म् ,नि ,ध१ ; ,नि ,नि सा ; सा रे१ ; सा रे१ ग१ ; ग१ रे१ ,नि ,ध१ ; ,ध१ ,नि ,नि सा ; सा रे१ ग१ म् ; ध१ म् ध१ ; म् ध१ नि सा' ; ध१ नि सा' ; ध१ नि सा' रे१' ; ग१' रे१' नि ध१ ; म् ध१ नि सा' रे१' ; ध१ सा' ; ध१ सा' रे१' नि ध१ म् ; ध१ नि ध१ म् ; ग१ म् ध१ ; म् ग१ रे१ सा ;

 

थाट

राग जाति

पकड़
निध॒म॓ग॒ रे॒ग॒रे॒सा
आरोह अवरोह
सारे॒ग॒म॓ध॒निसां - सांनिध॒ म॓ध॒म॓ग॒रे॒सा
वादी स्वर
ध॒
संवादी स्वर
रे॒