Skip to main content

डाकू पुतलीबाई

Ramkali

ये भैरव अंग का राग है। इसमें रिषभ और धैवत पर राग भैरव की तरह अन्दोलन नहीं किया जाता। इस राग को भैरव से अलग दिखाने के लिये इसका विस्तार मध्य और तार सप्तक में विशेष किया जाता है। इसलिये यह उत्तरांग प्रधान राग है। इसमें तीव्र मध्यम और कोमल निषाद का उपयोग एक विशिष्ठ प्रकार से केवल अवरोह में किया जाता है, जैसे - म् प ध१ नि१ ध१ प ; ग म रे१ सा। उक्त स्वर अवरोह में बार बार लेने से राग रामकली का स्वरूप राग भैरव से अलग स्पष्ट होता है।

संबंधित राग परिचय